लुधियाना 22 मार्च : नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन ने गैलेक्सो स्मिथ कलाईन कंपनी के सहयोग से “शिगंल्स बीमारी की रोकथाम” पर एक सेमिनार करवाया जिसमें डॉक्टर नितिन शंकर बहल अतिथि वक्ता तथा डॉक्टर हरीश माटा विशेष अतिथि थे। नीमा के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश थापर ने अतिथि वक्ता का नीमा के सदस्यों के साथ परिचय करवाया। नीमा के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश थापर, सचिव डॉक्टर नीरज अग्रवाल तथा कोषाध्यक्ष डॉक्टर आरके गर्ग के अनुसार जनरल प्रैक्टिशनर के लिए शिगंल्स अर्थात हरपीज़ जूस्टर कोई नई बीमारी नहीं है जिसका वायरस और चिकन पॉक्स का वायरस एक जैसे ही हैं।
अतिथि वक्ता डॉक्टर नितिन बहल के अनुसार शिंगल्स वैरिसेला-ज़ोस्टर नामक वायरस से होने वाला एक संक्रमण है जो आमतौर पर वयस्कों में होता है और दर्दनाक दानों अथवा फफोलों का कारण बनता है। शिगंल्स के दाने त्वचा के नीचे नसों की सूजन से जुड़े होते हैं। एक प्रश्न के उत्तर में डॉक्टर बहल ने बताया कि जिस किसी को भी चिकनपॉक्स हुआ हो, करोना हुआ हो तथा करोना की वैक्सीन लगवाई हो उसे शिंगल्स होने की संभावना ज्यादा रहती है । इनके अलावा ऐसी बीमारियाँ जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती हैं, जैसे एचआईवी/एड्स और कैंसर, शिगंल्स के खतरे को बढ़ा सकती हैं। शिंगल्स आपके शरीर में कहीं भी हो सकता है। चिकनपॉक्स संक्रमण समाप्त होने के बाद भी इस का वायरस वर्षों तक तंत्रिका तंत्र में निष्क्रिय रहता है। वर्षों बाद वायरस शिंगल्स के रूप में पुनः सक्रिय हो सकता है।