दिल्ली 23 मार्च : रोजेदारों के लिए रमजान का पाक महीना चल रहा है जिसमें शनिवार 23 मार्च 2024 को अल्लाह के बंदे 12वां रोजा रखेंगे. माह-ए-रमजान में रोजा रखना हर मुसलमान के लिए फर्ज है और सभी 29-30 का रोजा रखते हैं.
इस्लाम में पाकीजा है 12वां रोजा
इस्लाम में अंकों के जहान में 12 अंक का अपना खास मुकाम होता है. रबी-उल-अव्वल (इस्लामी कैलेंडर का तीसरा महीना) की 12वीं तारीख (मिलादुन्नबी) हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्मदिन बहुत पाकीजा माना गया है. रमजान में रोजा रखना जहां खूशबूओं का खजाना है, वहीं इस्लाम में बारहवें रोजा को ईमान के इत्र में मगफिरत की महक कहा गया है.
सहरी और इफ्तार की प्रकिया
रोजा रखने के दौरान सुबह के वक्त सहरी की जाती है और शाम के समय इफ्तार किया जाता है. सहरी के लिए रोजेदारों को बताने के लिए तमाम मस्जिदों में ऐलान भी किया जाता है. इसके बाद लोग तय समय पर सहरी करते हैं और फजर की नमाज करते हैं. सहरी के बाद शाम में रोजा खोलने के लिए इफ्तार की जाती है. इफ्तार के बाद मुसलमान मगरीब की नमाज अदा करते हैं. रात में ईशा की नमाज पढ़ी जाती है, तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है और कुरआन की तिलावत की जाती है.
इस तरह के रोजा मुकम्मल होता है. अगले दिन फिर से यही प्रकिया पूरी होती है और ये सिलसिला रमजान के पूरे महीने चलता है. इसलिए रोजे रखने वालों को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि, रोजाना तय समय पर सहरी कर रोजा रखें और शाम में सही समय पर रोजा खोलें.