रघुनंदन पराशर जैतो
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जैतो,20 मार्च : उत्तर भारत की जानी-मानी जैन साध्वी डा. सुयशा जी महाराज ने आर वी शांति नगर स्थित जैन साधक केंद्र में प्रवचनों की अमृमवर्षा करते हुए श्रद्धालुओं से कहा कि जंगल में एक कौवा पेड़ पर बैठा हुआ था ! कौवा की नज़र हंस पर पड़ती है! उसे ऐसा लगता है कि हंस कितना सुंदर है! उसके सफेद कलर को देखकर वह बार-बार विचार करने लगा कि यह अपने जीवन में बहुत खुश होगा ।वह हंस के पास जाता है और कहता है कि, आप कितने खुश नसीब हो कि आप इतने सफेद हो और इतने सुंदर हो !हंस कहता है यह आपके मन का भ्रम है, असली सुंदरता देखनी है तो आपको तोतेराम के पास ले चलता हूं !हंस कहता है कि तोता के पास तो दो दो रंग है मेरे पास तो सिर्फ 1 रंग तू ता दिखने में मुझसे कहीं गुना ज्यादा सुंदर है हकीकत मे तोताराम खुश है !तोताराम यह सुनकर हंस हंस के लोटपोट हो जाता है! वह कहता है कि मेरे दौ रंग से आप इतने प्रभावित हुए !
आपको मैं रंगों का राजा मोर से मिलाता हूं, काश मैं मोर होता, रंगबिरंगे पँखो के साथ नाचने का लाभ उठाता ।हंसराजा और कोवाभाई के मन में विचार आया कि चलो हम मोर से मिलते हैं वह दुनिया का सबसे खुशनसीब पक्षी है !जब मोर से मिलने गए तो वह एक पिंजरे में बंद रखा था और बहुत सारे लोग उसे देखने आए थे !जब तीनों ने मोर से पूछा कि आप दुनिया के सबसे खुश नसीब पक्षी हो !आपको दिखने के लिए हजारों लोग आए हुए हैं और दिखने में कितने सुंदर हो आपका जीवन बहुत ही खुशहाल है !यह सुनकर मोररोने लग जाता है मोर कहता है कि क्या फायदे सुंदरता का, मेरी आजादी मेरे हाथ से चली गई,हर सेकंड घुट रहा हूं, हर सेकंड मर रहा हूं, तुम मुझे इस पिंजरे से बाहर निकालो मुझे नहीं चाहिए कोई भी सुंदरता ! जैसे आप बाहर आजाद हो वैसा आजाद रहना चाहता हूं !जीवन में हम एक दूसरे को देख कर हमे ऐसा लगता है कि वह इंसान बहुत खुश है !काश मेरी लाइफ उसके जैसी होती ! ऐसे ही हम सोच सोच कर हमारे जीवन के वास्तविक अस्तित्व का लाभ नहीं उठा पाते !इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें जो जीवन मिला है वह अनमोल है !इस बात का ख्याल रखना की हमेशा खुश रहना है तो हमें खुद को बेहतर बनाना है ना कि खुद की तुलना दूसरों से करनी है।