चंडीगढ़, 25 सितंबर:
पंजाब राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की तीसरी बैठक आज माननीय वन मंत्री की अध्यक्षता में राज्य में आर्द्रभूमि संरक्षण पहल की समीक्षा के लिए आयोजित की गई।
डब्ल्यूपी (सी) संख्या 304/2018 – आनंद आर्य बनाम भारत संघ में, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वेटलैंड प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वे जमीनी सत्यापन के साथ-साथ पहचाने गए प्रत्येक वेटलैंड की वेटलैंड सीमाओं का सीमांकन भी पूरा करें।
पंजाब की जिला वेटलैंड समितियों द्वारा चिन्हित 1143 जल निकायों की जमीनी सच्चाई, डिजिटल मैपिंग और मूल्यांकन के बाद, 14 जिलों में 72 जल निकायों को वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत अधिसूचना के लिए अनुशंसित किया गया है। इनमें अमृतसर (2), बरनाला (8), फरीदकोट (2), फतेहगढ़ साहिब (12), फाजिल्का (8), फिरोजपुर (3), जालंधर (2), कपूरथला (4), मानसा (10), मोगा (6), पटियाला (3), संगरूर (5), श्री मुक्तसर साहिब (7) शामिल हैं।
प्राधिकरण ने व्यास नदी तटीय जलग्रहण क्षेत्र के लिए एकीकृत प्रबंधन योजना (आईएमपी) को भी मंजूरी दी, जिसमें विभिन्न कार्यों के लिए 38.45 करोड़ रुपये के पाँच वर्षीय बजट की आवश्यकता है। स्वीकृत योजना को राष्ट्रीय जलीय पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण योजना (एनपीसीए) के अंतर्गत वित्त पोषण के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेजा जाएगा।
बैठक का समापन पंजाब की प्रमुख आर्द्रभूमियों पर हाल ही में आई बाढ़ के प्रभाव की समीक्षा के साथ हुआ, जिसमें माननीय मंत्री ने आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र में लचीलापन बनाने के महत्व को साझा किया।