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प्रोजेक्ट में 650 करोड़ का घोटाला, 15 जुलाई तक न दिया हिसाब तो सभी सरकारी ऑफिसों को जड़ेगें ताले, हाईकोर्ट में याचिका दायर की तैयारी

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बुड्‌ढा दरिया को लेकर कारोबारियों न समाजसेवियों का सरकार को अलटीमेंटम

यूटर्न टाइम के बुड्ढा नाला सफाई अभियान को मिली रफ्तार

(राजदीप सिंह सैनी)

लुधियाना 4 जुलाई। लुधियाना के निवासियों के लिए अधिकारियों की मेहरबानी से बीमारियों का घर बना बुड्ढा दरिया को लेकर यूटर्न टाइम द्वारा चलाए बुड्ढा दरिया सफाई अभियान को वीरवार को रफ्तार मिली। दरअसल, बुड्ढा नाले की सफाई को लेकर वीरवार को कारोबारियों व समाजसेवियों द्वारा बड़ा ऐलान कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बुड्ढे नाला प्रोजेक्ट की आढ़ में मंत्रियों व अधिकारियों द्वारा 650 करोड़ रुपए हड़प कर लिए गए। झूठी रिपोर्ट्स बनाई गई। जिसके चलते उन्होंने मंत्रियों व सरकारी अधिकारियों से जनता के करोड़ों रुपए हड़प करने का हिसाब मांगा है। डाइंग कारोबारी तरुण जैन बावा ने बताया कि इसके लिए कारोबारियों व समाजसेवियों द्वारा पंजाब सरकार को 15 जुलाई तक का अलटीमेंटम दिया है। 15 जुलाई से पहले पहले अगर सरकार ने घोटाले से संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों पर एक्शन न लिया और 650 करोड़ रुपए के घोटाले का जवाब न दिया तो वह सड़क पर उतरेगें। इसी के साथ पटियाला स्थित पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के हेड ऑफिस, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के लुधियाना ऑफिस, डीसी लुधियाना ऑफिस, नगर निगम के चारों जोन, पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के ऑफिसों को ताले जड़ेगें। जबकि वहां लगातार धरने प्रदर्शन भी किए जाएंगे। इसके लिए शेरे पंजाब अकाली दल की और से समर्थन देने का ऐलान किया गया है। इसी के साथ उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त का नारा लगाने वाले सीएम भगवंत मान से इस मामले की सीबीआई या विजिलेंस जांच कराने की मांग की है।

फर्जी डीपीआर तैयार कर हड़प किए 650 करोड़ रुपए

कारोबारी तरुण जैन बावा ने कहा कि दरअसल, 2020 में बुड्ढा नाला की सफाई के लिए उस समय की पंजाब की कांग्रेस सरकार प्रोजेक्ट लाई। तब इस प्रोजेक्ट की 650 करोड़ रुपए की फर्जी डीपीआर तैयार की गई। जिसमें बुड्ढा नाले में कितना पानी आ रहा है, उसे चैक किया गया और न ही यह देखा कि नाले में गंदा पानी कौन डाल रहा है। डीपीआर में 225 एमएलडी का सीईटीपी प्लांट लगाने के बाद पानी साफ होने का दावा किया। प्लांट लगने के बाद भी आज तीन साल बीतने पर भी पानी साफ नहीं हुआ। तब के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा डीपीआर को सही माना गया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस प्रोजेक्ट के लिए 425 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी कर दी। तब के पीएमआई के सीआईओ अजोय कुमार शर्मा, पीपीसीबी, नगर निगम, वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के अधिकारियों द्वारा मिलकर सारे पैसे खा लिए गए।

350 करोड़ की डीपीआर होनी थी तैयार

तरुण जैन बावा ने कहा कि उन्होंने डीपीआर तैयार होने के दौरान ही कहा था कि डीपीआर तैयार करने में 300 से 350 करोड़ रुपए का ही खर्च आता है। जबकि उन्होंने इसके सबूत भी दिए थे। यहां तक कि उन्होंने लाखों रुपए खर्च कर नाले का पानी व अन्य चीजें भी चैक करवाई थी। इसी के साथ अपनी रिपोर्ट भी तैयार कर पंजाब सरकार के आगे रखी थी। लेकिन मंत्रियों व अधिकारियों की आपसी मिलीभगत के चलते उनकी सुनवाई नहीं हो सकी थी। 300 करोड़ में तैयार होने वाली डीपीआर पर 650 करोड़ की लागत आई। जबकि आज तीन साल बाद भी नाला गंदा है। जिससे साफ जाहिर है कि बाकी पैसा मंत्री व अधिकारी खा गए।

करोना काल में ही अलॉट कर डाला टेंडर

बावा ने आरोप लगाया कि एक तरफ 2020 में करोना काल से लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। दूसरी तरफ पीएमआई के सीआईओ अजोय कुमार शर्मा, पीपीसीबी, नगर निगम, वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के अधिकारियों ने मिलकर बुड्ढे नाले की डीपीआर भी तैयार कर ली। वहीं इसी के साथ करोना काल में ही मुंबई की एक कंपनी को टेंडर भी अलॉट कर दिया।

जनता का पैसा, अब जनता ही लेगी हिसाब

समाजसेवियों ने कहा कि जो 650 करोड़ रुपए का अधिकारियों व मंत्रियों ने घोटाला किया है, वह जनता का पैसा है। इसी के चलते अब जनता अपने पैसों का हिसाब लेगी। सरकार व सरकारी अधिकारियों को इसका हिसाब देना पड़ेगा। अगर पंजाब सरकार ने इस मामले में एक्शन नहीं लिया, तो जनता सड़कों पर उतरेगी और हर विभाग के टेंडरों का हिसाब मांगा जाएगा।

हाईकोर्ट में दायर की जाएगी याचिका, सीचेवाल पीए पानी

वहीं कारोबारियों ने कहा कि वह जल्द हाईकोर्ट में याचिका दायर करने जा रहे हैं। जिसमें इस घोटाले को उजागर किया जाएगा और सीबीआई जांच की मांग की जाएगी। क्योंकि इस मामले में कई बड़े मगरमच्छ फंसेगें। बावा ने कहा कि सांसद बलबीर सिंह सीचेवाल अगर कहते हैं कि नाले का पानी साफ हो चुका है तो वह उनके साथ वलीपुर गांव में चले। जहां दरिया का आखिरी प्वाइंट है, वहां का पानी पीकर दिखाएं। अगर वह पी गए तो जो वह कहेगें, वो करने को तैयार हैं। यह सिर्फ राजनेता आईवॉश करने में लगे हैं।

मंत्रियों व अधिकारियों के कारण नाला आज तक नहीं हुआ साफ

कारोबारी अजीत लाकड़ा ने कहा कि नाले में डाइंग यूनिटों का पानी नहीं जा रहा। क्योंकि शहर के तकरीबन सभी लीगल डाइंग यूनिट सीईटीपी प्लांट से जुड़े हैं। जबकि बाकी के चल रहे इललीगल प्लांट का पीपीसीबी और नगर निगम जिम्मेदार है। क्योंकि वहीं पानी सीवरेज में गिराते हैं। जबकि नाले में निगम का डोमेस्टिक पानी जाता है। अधिकारी खुद को बचाव करने को कारोबारियों पर गाज गिराते हैं। नाले की सफाई में मंत्रियों से लेकर अधिकारियों तक ने बड़ा घोटाला किया है। जिसका जनता जवाब लेकर रहेगी। नाला आज तक साफ न होने का कारण भी मंत्री व अधिकारी हैं।

80 प्रतिशत डाइंग यूनिट सीईटीपी प्लांट से जुड़े

वहीं कारोबारी बॉबी जिंदल ने कहा कि 80 प्रतिशत डाइंग यूनिट सीईटीपी प्लांट के साथ जुड़े हुए हैं। डाइंग इंडस्ट्री का सारा पानी साफ होकर ही नाले में जाता है। शहर में 30-40 प्लांट ऐसे है, जिनका पानी एसटीपी प्लांट में जाता है। जबकि सांसद बलबीर सिंह सीचेवाल की और से इन यूनिटों को बंद करने के लिए लेटर भी जारी किया गया है। दरअसल, निगम के एसटीपी प्लांट में सिर्फ डोमेस्टिक पानी साफ होता है, अगर डाइंग का पानी जाएगा तो प्लांट खराब हो जाएंगे। ऐसे में सरकार को देखना चाहिए कि आखिर नाला साफ न होने का कारण क्या है।

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