चर्चा – दुबई में न विजिलेंस और न ही ईडी का डर
लुधियाना 25 अप्रैल। लुधियाना नगर निगम में एसई और एक्सियन लेवल के अधिकारियों द्वारा अपने रिश्तेदारों को ठेकेदार बनाकर उन्हें ठेके दिलाकर 100 करोड़ रुपए का स्कैम किया गया है। एसई संजय कंवर की गिरफ्तारी के बाद अब यह मामला एक बार पिर सुर्खियों में बना हुआ है। दरअसल, रिश्तेदारों को ठेके दिलाकर सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले अधिकारी अब अपनी लग्न से कमाई काली मेहनत की कमाई को खपाने में जुट चुके हैं। चर्चा है कि अधिकारी अपनी दो नंबर की कमाई को दुबई में शिफ्ट करने में लगे हुए हैं। इसी के साथ साथ अवैध तरीके से ली गई प्रॉपर्टियों को भी सेंटल करने में जुटे हैं। इसके लिए कई अधिकारी दुबई भी पहुंच चुके हैं। हालांकि कई वापिस आने की तैयारी में है। जिसके चलते शहर में लगातार यह चर्चा छिड़ी हुई है कि आखिर कौन से ऐसे अधिकारी हैं, जिनकी और से ठेके देने की आड़ में इतनी ज्यादा कमाई कर ली गई है कि उन्हें उक्त कमाई को ठिकाने लगाने के लिए विदेशों में जाना पड़ रहा है।
एसई के बाद रडार पर है कई अधिकारी
दरअसल एसई संजय कंवर की गिरफ्तारी और उसके काले कारनामों के भेद खुलने के बाद कई और अधिकारी भी विजिलेंस की रडार पर है। ऐसे में अपने रिश्तेदारों को ठेके दिलाने वाले अधिकारियों को अपना डर सता रहा है। जिस कारण उनकी और से पहले ही अपनी अवैध कमाई को साइड़ पर करना शुरु कर दिया है।
दुबई में न विजिलेंस और न ही ईडी का डर
चर्चा है कि अधिकारियों की दरअसल, सोच यह है कि दुबई में न तो विजिलेंस है और न ही ईडी का कोई डर है। जिसके चलते वे अपनी प्रॉपर्टियों और अवैध तरीके से कमाए पैसे को दुबई में खपाने में लगे हुए हैं।
अचानक दौरों के चलते चर्चा में आए अधिकारी
चर्चा है कि निगम के कुछ अफसरों द्वारा अचानक दुबई का दौरा करने का प्लान कर लिया। हालांकि दौरा करने की कोई खास वजह भी नहीं बताई गई। ऐसे में चर्चा है कि अगर विजिलेंस द्वारा दुबई से लौटते ही इन अधिकारियों से पूछताछ की जाए तो भ्रष्टाचार के खुलासे होने के साथ साथ इंटरनेशनल लिंक भी सामने आएंगे।
मामले दबाने को दो महीने पहले बनाई थी जांच कमेटी
जानकारी के अनुसार इस घोटाले को उजागर करने के लिए तीन सदस्सीय कमेटी गठित की गई थी। जिसमें बीएंडआर के अधीक्षण इंजीनियर शाम लाल गुप्ता, रणजीत सिंह और कार्यकारिणी इंजीनियर बलविंदर सिंह को मेंबर बनाया गया था। चर्चा है कि यह जांच कमेटी इसी लिए बनाई गई थी, ताकि मामले को दबाया जा सके। जिसके चलते दो महीने बीतने के बाद भी कमेटी के हाथ खाली है।
यह है मामला
जानकारी के अनुसार नगर निगम में कोई भी अधिकारी अपने रिश्तेदार को ठेकेदार नहीं लगा सकता। लेकिन एसई और एक्सियन लेवल के अधिकारियों द्वारा अपने रिश्तेदारों को ही ठेकेदार रख लिया गया। जिसके बाद धड़ल्ले से उन्हें ठेके दिलाए गए। यहां तक कि उन्हें पेमेंट्स भी समय से पहले ही अदा कर दी गई। इस तरह करके अधिकारियों द्वारा 100 करोड़ से अधिक के टेंडर अपने रिश्तेदारों को अलॉट कर डाले।