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साइकिल इंडस्ट्री में पहले पद्मश्री बने एवन साइकिल्स के एसएमडी ओंकार पाहवा का छलका दर्द

सब-हैडिंग—–

बोले पाहवा, जिस ‘साइकिल’ ने दिलाया सर्वोच्च सम्मान, आज उसका ही वजूद खतरे में, जिसे संघर्ष कर मुकाम तक लाए

 

लुधियाना/यूटर्न/27 जनवरी। इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना की दुनियाभर में खास पहचान साइकिल इंडस्ट्री की वजह से बनी। इसी ट्रेड में पहली बार एवन साइकिल्स लिमिटेड के सीएमडी ओंकार सिंह पाहवा देश के सर्वोच्चम सम्मान पद्मश्री के हकदार बने हैं

सबसे जज्बाती पहलू यह है कि साइकिल-इंडस्ट्री के सुपरमैन पाहवा ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने माता-पिता को समर्पित किया, जिन्होंने दशकों पहले व्यवसाय शुरू किया था। दूसरा जज्बाती पहलू यह है कि यह खुशखबरी मिलने के वक्त वह रात को सोने वाले ही थे, तभी सबसे पहले उन्होंने अपनी हमसफर यानि धर्मपत्नी से इसे शेयर किया। साथ ही कहा कि उनको यह सम्मान अपनी पूरी टीम की वजह से ही मिला है।पाहवा 1973 में इस व्यवसाय में शामिल हुए। व्यवसाय की शुरुआत उनके पिता और चाचा ने की थी। उन्होंने कहा कि साइकिल, जो कभी जीवन की आवश्यकता थी, अब इसकी उपयोगिता बदल गई। मोटरबाइकों के अधिकाधिक उपयोग के कारण इसमें भारी परिवर्तन आया है।

 

साइकिल चलाना सुरक्षित नहीं रहा :

पाहवा ने चिंता जताई कि अब साइकिल का इस्तेमाल ज़्यादातर मनोरंजन और व्यायाम के लिए किया जाता है। इसका स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। कभी हम खुद साइकिल से स्कूल-कालेज जाते थे और आज साइकिल स्टैंड तक खत्म हो चुके हैं। बेशक कई देश, जो पहले चीन से साइकिल आयात करते थे, अब भारत से आयात करने लगे हैं। पद्मश्री पुरस्कार विजेता ने कहा कि हमें अच्छे ऑर्डर भी मिले हैं। आने वाला समय निर्यात के लिए भी अच्छा है। अगर सरकार भारत में साइकिल चलाने के लिए अलग लेन बनाए, साइकिल चलाना सुरक्षित हो, तो निश्चित रूप से साइकिल की मांग बढ़ेगी।

बड़ी चुनौत, संघर्ष से बनाया यह मुकाम :

भावुक होकर पाहवा बताने लगे कि इस बिजनेस में आने के बाद 1976 में शादी हो गई। ज्वाइंट फेमली में रहते बिजनेस एक्सपोर्ट से जुड़ी जिम्मेदारी मिली। तब मोबाइल फोन नहीं थे, मुंबई कॉल बुकिंग के जरिए होती थी। ट्रेन में टिकट मिल जाए तो सीट नहीं मिलती थी। कूरियर जैसी सहूलियत नहीं थी, जरुरी डॉक्यूमेंट साथ लेकर जाते थे। मुंबई जाकर शिपिंग का काम निपटाने के बाद लौटते थे। सबसे बड़ी चुनौती तब कंपनी ग्रो कर रही थी और फाइनेंशियल शार्टेज का सामना भी करना पड़ता था।

कंपनी लगातार कामयाबी की राह पर :

पद्मश्री के हकदार बन चुके पाहवा और ऊर्जावान नजर आए। उन्होंने दावा किया कि एवन साइकिल अभी कामयाबी के और नए आयाम तय करेगी। अभी तक कंपनी फिटनेस मशीनें इंपोर्ट कर रही थी, अब खुद बनाएगी। एक्सपोर्ट भी बढ़ने की उम्मीद है। बाकी हैवी ड्यूटी रिक्शा भी बना रहे हैं। इलैक्ट्रिक रिक्शा, स्कूटर भी तैयार कर रहे हैं।

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