लुधियाना में सतलुज के किनारे 350 एकड़ खेत डूबे:गांवों में ड्रोन से निगरानी, कटाव जारी, ग्रामीण बोले- अवैध खनन बना मुसीबत

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10 सितम्बर   -लुधियाना में सतलुज नदी के किनारे बसे कई गांवों में अभी भी बाढ़ का खतरा बना हुआ है। नदी के पास रहने वाले लोगों का आरोप है कि प्रशासन बांधों की मरम्मत नहीं कर रहा और अवैध रेत खनन को भी रोकने में नाकाम है।
गढ़ी फजल गांव के पास तेज बहाव की वजह से कमजोर बांध को नुकसान पहुंचा, जिससे आसपास के गांवों के लोग और भी चिंतित हैं। प्रशासन ड्रोन की मदद से नदी का जलस्तर और ग्रामीण इलाकों पर नजर रख रहा है। इस बीच किसानों की जमीनों का कटाव भी लगातार जारी है।अलावल, ससराली, दुल्लेवाल, तलवंडी नौबाद और गढ़ी फजल गांव के लोग बताते हैं कि अवैध खनन के कारण उनके इलाके के बांध बहुत कमजोर हो गए हैं। लोगों का कहना है कि खनन की गतिविधियों ने नदी का बेस लेवल कम कर दिया है। इससे धुस्सी बांध कमजोर हो गए हैं और मानसून के दौरान टूटने का खतरा बढ़ गया है।लुधियाना में इस साल 350 एकड़ से ज्यादा खेत पानी में डूब चुके हैं। ससराली के किसान सुखदीप सिंह ने बताया कि बांध कमजोर हैं और अवैध खनन ने उनकी नींव खोखली कर दी है। नदी पहले ही खतरनाक स्तर तक पहुँच चुकी है और अब किसान पूरी तरह दरिया पर निर्भर हैं।
गढ़ी फाजल के मनजीत सिंह ने कहा कि बांध दस दिनों में दूसरी बार टूट गया। उन्होंने अधिकारियों को पहले ही खतरे के बारे में बताया था, लेकिन कोई रोकथाम नहीं की गई।
दुल्लेवाल के बलविंदर सिंह ने कहा कि अब पूरा गांव खतरे में है। खेतों में पानी घुसना शुरू हो गया है और अगर समय पर कार्रवाई होती या खनन माफिया पर रोक लगती, तो बांध मजबूत होते।
तलवंडी नौबाद के हरदीप सिंह ने कहा कि पूरे धुस्सी बांध को मजबूत करना होगा। केवल रेत और पत्थर पर्याप्त नहीं हैं। खनन के कारण भूमि कटाव बढ़ा है और यही टूटने की मुख्य वजह है।
ग्रामीणों ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि निचले और खोखले इलाकों को भारी पत्थरों, मिट्टी और कंक्रीट से भरा जाए। साथ ही अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगाई जाए और सिंचाई विभाग व स्थानीय प्रशासन में बेहतर समन्वय हो।
डिप्टी कमिश्नर हिमांशु जैन ने कहा कि मैंने पहले ही अधिकारियों को जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध खनन को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया है। फिलहाल बांधों को मजबूत करने का काम टीमें कर रही है। 24 घंटे दरिया किनारे वाले गांवों पर नजर रखी जा रही है।

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