चंडीगढ़, 28 अक्टूबर। जुलाई और अगस्त में हुई भारी मानसूनी बारिश के बाद पंजाब में रेत की कीमतों में गिरावट आई है। इसकी वजह यह है कि पंजाब सरकार की ‘जिसका खेत, उसकी रेत’ योजना के शुरू होने के दो हफ़्तों के भीतर ही पूरे क्षेत्र में रेत की कीमतों में 30-35 प्रतिशत की भारी गिरावट देखने को मिली है।
हाल ही में आई बाढ़ के दौरान रेत और गाद से भर गए खेतों और मकानों की वजह से किसानों की मदद के उद्देश्य से शुरू की गई इस पहल के परिणामस्वरूप बाजार में रेत की आपूर्ति में वृद्धि हुई है। जो रेत एक पखवाड़े पहले 90-100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही थी, वह अब खुदरा बाजार में 60 रुपये में मिल रही है, जबकि थोक कीमतें 75 रुपये से घटकर 45 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। फरीदकोट क्षेत्र में पहुँचने वाली अधिकांश रेत फाजिल्का, फिरोजपुर और अजनाला जैसे बाढ़ प्रभावित जिलों से आ रही है।
इस अभियान के तहत, बाढ़ प्रभावित भूमि मालिकों को बिना किसी परमिट या एनओसी के अपनी कृषि भूमि से रेत और नदी की सामग्री उठाने या गाद निकालने की अनुमति है। जिला प्रशासन ने इस उद्देश्य के लिए सतलुज नदी के किनारे बसे कई गाँवों को अधिसूचित किया है। जिनमें मोगा के धर्मकोट क्षेत्र के 25 से अधिक गाँव शामिल हैं। यह छूट, जो केवल भूमि पुनर्स्थापन के लिए है, 31 दिसंबर, 2025 तक वैध रहेगी। सूत्रों का कहना है कि यह छूट केवल कृषि भूमि के पुनर्वास के लिए है, न कि व्यावसायिक खनन के लिए। उन्होंने भूमि मालिकों को रेत हटाने के दौरान मूल भूमि की सतह को नुकसान पहुँचाने या खाई बनाने के खिलाफ चेतावनी दी। हालांकि, अधिकारियों ने इस योजना के दुरुपयोग का पता लगाया है।
खनन विभाग और मोगा पुलिस ने पाया कि कुछ लोग भूमि पुनर्स्थापन की आड़ में अवैध रेत खनन करने के लिए इस छूट का फायदा उठा रहे थे। सतलुज नदी के पास एक निरीक्षण के दौरान, अधिकारियों ने चार लोगों को योजना की शर्तों का उल्लंघन करते हुए एक स्वीकृत वाणिज्यिक खनन स्थल से अवैध रूप से रेत निकालते हुए पकड़ा। उनके धर्मकोट पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।
विभिन्न उप-विभागीय मजिस्ट्रेटों और कार्यकारी अभियंता-सह-जिला खनन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि अधिसूचित क्षेत्रों से आगे कोई अनधिकृत खनन ना हो। साथ ही, चेतावनी दी गई है कि किसी भी उल्लंघन को अवैध खनन गतिविधि माना जाएगा।
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