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डीगढ/यूटर्न /28 मई: भोलू गवाह हाजिर हो,पहले इस तरह फर्जी गवाहों के जरिये जमानत हो जाती थी लेकिन अब हाई कोर्ट ने कडा संज्ञान लेते हुए आदेश जारी कर दिये है कि ऐसे गवाहों के जरिये पंजाब हरियाना व चंडीगढ में जमानतें नही होगी। फर्जी गवाहों से जमानत का खेल अब हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की अदालतों में बंद होने जा रहा है। हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र की सभी अदालतों में गवाहों के लिए आधार कार्ड ऑथेंटिकेशन (सत्यापन) का बायोमीट्रिक के जरिये इंतजाम करने का हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिया है। नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर इसके लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्टर उपलब्ध करवाएगा। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में हरियाणा व पंजाब में फर्जी गवाहियों के कई मामले पहुंचे थे। हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों के लंबे ट्रायल के कारण असली जमानती किसी व्यक्ति के लिए खड़े होने से डरते हैं और इसी के परिणाम स्वरूप प्रोफेशनल लोगों ने जमानत को धंधा बना लिया है। मामलों पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इसके लिए कोई व्यवस्था लागू करने पर सभी पक्षों से जवाब मांगा था। सभी पक्षों को सुनने के बाद अब हाईकोर्ट ने इसके लिए व्यवस्था बनाते हुए चार माह में इसे लागू करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के ई-गवर्नेंस विभाग को इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय को आधार ऑथेंटिकेशन सिस्टम के लिए 30 तीन के भीतर निवेदन करने का आदेश दिया है। मंत्रालय को इस निवेदन पर 30 दिन के भीतर विचार कर निर्णय लेना होगा। इसके बाद अगले 30 दिन के भीतर सभी अदालतों में आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाना होगा। हाईकोर्ट ने इस व्यवस्था को 4 माह के भीतर सभी अदालतों में लागू करने का आदेश दिया है। इस व्यवस्था के प्रभावी होने के बाद जहां पर अपराध में सजा 7 साल से कम हो उस स्थिति में आवश्यकता न होने पर अदालतें जमानत के लिए दबाव नहीं बनाएंगी। इसके बाद सभी जमानतियों का डाटा तैयार किया जाएगा और इसकी लगातार समीक्षा अनिवार्य होगी। जमानती के रजिस्टर की जिला जज या सीजेएम हर तीन माह में समीक्षा करेंगे। आधार कार्ड से बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर उपलब्ध करवाएगा। इस काम में यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया तकनीकी मदद मुहैया करवाएगा।
अभी यह होती थी समस्या
आपराधिक मामलों में जमानत के लिए प्रोफेशनल लोग फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल करते थे। जब जमानत पाने वाला व्यक्ति अदालत में पेश नहीं होता था तो जमानती को खोजा जाता था, लेकिन फर्जी होने के कारण वह मिलता ही नहीं था। अब बायोमीट्रिक व्यवस्था से ऐसे प्रोफेशनलों पर लगाम लगाई जा सकेगी।
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