एक तरफ करप्शन के खिलाफ मान सरकार के सख्त तेवर, दूसरी तरफ इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना में कानून व्यवस्था लचर
लुधियाना 28 जून। पंजाब में एक तरफ करप्शन और ड्रग्स के खिलाफ मान सरकार की और से सख्त तेवर दिखाए जा रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ इंडस्ट्रियल सिटी कहे जाते लुधियाना शहर में कानून व्यवस्था लचर होती जा रही है। लुधियाना में कही सरेआम रास्ते में रोककर लोगों को काट दिया जा रहा है तो कही घरों के बाहर से वाहन चोरी कर लिए जा रहे हैं। जबकि इन वारदातों में पुलिस भी कोई खास कदम उठाती दिखाई नहीं दे रही है। पंजाब सरकार की और से शनिवार को राज्य की जेलों व अन्य विभागों में मौजूद लुधियाना समेत कई जिलों के 25 उच्च अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। जिन पर करप्शन करने, ड्रग नेटवर्क को बढ़ावा देने और काम में लापरवाही करने के आरोप हैं। इनमें 3 डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, 2 असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट समेत विभिन्न जेलों और विभागों से जुड़े कुल 25 अधिकारी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का सख्त रुख
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पहले ही स्पष्ट किया है कि राज्य में ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी और चाहे कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा। जेल विभाग के भीतर लंबे समय से चल रही गड़बड़ियों को देखते हुए यह कार्रवाई उसी नीति के तहत की गई है।
जेलों में बढ़ती शिकायतों के बाद कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक, कई जेलों से ड्रग्स की आपूर्ति, मोबाइल फोन की तस्करी, कैदियों को विशेष सुविधाएं देने और रिश्वतखोरी जैसे मामलों की रिपोर्ट सरकार को लगातार मिल रही थी। हाल ही में कुछ जेलों में की गई विजिट्स और जांच में इन आरोपों की पुष्टि हुई, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। पंजाब सरकार जेलों में मौजूद नशा तस्करी के नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करने की योजना पर काम कर रही है। जेल विभाग के उच्चाधिकारियों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि अगर आगे भी किसी की लापरवाही या मिलीभगत पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
लुधियाना बोर्स्टल जेल के डिप्टी सुपरीटेडेंट पर भी एक्शन
लुधियाना बोर्स्टल जेल के डिप्टी सुपरीटेडेंट अनिल भंडारी पर भी पंजाब सरकार द्वारा एक्शन ले लिया गया है। उन पर मामलों में जांच समय पर न करने, वार्डर गार्द स्टॉफ व सहायक सुपरीटेडेंट को रेस्ट पर भेजने, सुपरीटेडेंट जेल के आदेश न मानने और कर्मियों को ग्रुप बनाकर बढ़ावा देकर जेल का माहौल खराब करने के आरोप हैं। वहीं अनिल भंडारी की और से मेडिकल अफसर के अपने लेवल पर जेल आईडी कार्ड बनाकर दिए जा रहे थे, जो कि नियमों के मुताबिक वे बना ही नहीं सकते थे।