जंमू कशमीर/यूटर्न/18 सितंबर: जंमू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए आज पहले चरण के लिए वोटिंग हो रही है। जंमू-कश्मीर में पहले चरण में 24 सीटों के लिए वोटिंग की जा रही है। सात जिलों के वोटर्स 10 साल में पहली बार विधानसभा चुनाव में वोट डालेंगे। इस दौरान जंमू क्षेत्र के 3 जिलों और कश्मीर घाटी के 4 जिलों में वोटिंग की जा रही है। जिसमें 90 निर्दलीय समेत 219 उंमीदवार चुनावी मैदान में हैं।
कितने बजे से शुरू होगा मतदान?
मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हो गया है जो शाम 6 बजे तक चलेगा। सालों बाद इलेक्शन होने की वजह से कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया है। मतदान के लिए कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। दिल्ली, जंमू और उधमपुर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए खास वोटिंग सेंटर बनाए गए हैं। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए दिल्ली में 4, जंमू में 19 और उधमपुर में 1 वोटिंग सेंटर बनाए गए हैं। इस चुनाव के नतीजों का 8 अक्टूबर को ऐलान किया जाएगा।
10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव
जंमू और कश्मीर में दस सालों में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण का मतदान बुधवार, 18 सितंबर को होगा। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में कुल 23,27,580 मतदाता मतदान करने के लिए पात्र हैं। मतदान के लिए इलेक्शन कमीशन ने पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए कुल 14000 मतदान कर्मचारी 3276 मतदान केंद्रों पर प्रक्रिया की निगरानी के लिए लगाया गया है। पहले चरण के मतदान में 219 उंमीदवार मैदान में हैं। जिसमें 11,76,462 पुरुष, 11,51,058 महिला और 60 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं।
24 सीटों की लिस्ट
पहले चरण में पंपोर, त्राल, पुलवामा, राजपोरा, जैनापोरा, शोपियां, डी.एच. पोरा, कुलगाम, देवसर, दोरू विधानसभा, कोकेरनाग , अनंतनाग पश्चिम, अनंतनाग, श्रीगुफवारा-बिजबेहरा, शंगस-अनंतनाग पूर्व, पहलगाम, इंदरवाल, किश्तवाड़, पैडर-नागसेनी, भद्रवाह, डोडा, डोडा पश्चिम, रामबन, बनिहाल सीटों पर मतदान होगा। इसमें पुलवामा की 4 शोपियां की 2, कुलगाम की 3, अनंतनाग की 7, रामबन की 2, किश्तवाड़ की 3 सीटों और डोडा जिले की 3 सीटें शामिल हैं। केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गठबंधन किया है। जबकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी , भारतीय जनता पार्टी , पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अन्य पार्टियां स्वतंत्र ही चुनाव लड़ रही हैं।
चुनाव में प्रमुख चेहरे
चुनाव में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफती की बेटी इल्तिजा मुफती का मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस के बशीर अहमद वीरी और भारतीय जनता पार्टी के सोफी मोहंमद यूसुफ से है। पुलवामा सीट पर भाजपा के वहीद पारा को नेशनल कॉन्फ्रेंस उंमीदवार मोहम्मद खलील बंद टक्कर देने के लिए मैदान में हैं।
राशिद इंजीनियर और जमात का गठबंधन, किसका बिगाड़ेगा खेल?
इस चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के अलावा घाटी के चुनाव में इंजीनियर राशिद और जमात ए इस्लामी भी चुनावी मैदान में हैं। राशिद और जमात का साथ इतना स्ट्रैटजिक है कि ये गठबंधन कश्मीर में नया गुल खिला सकता है। पहले फेज में 219 उंमीदवार मैदान में हैं, जबकि इनमें 44 प्रतिशत निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर जमात ए इस्लामी और राशिद इंजीनियर की पार्टी से जुड़े हुए हैं। माना जा रहा है कि ये निर्दलीय उंमीदवार पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
जमात ए इस्लामी पर बैन
केंद्र सरकार ने जमात ए इस्लामी पर बैन लगा रखा है। कश्मीर में पिछले 37 सालों से जमात सक्रिय है। लेकिन अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार ने जमात पर बैन लगा दिया था। बैन के चलते जमात चुनाव नहीं लड़ सकता, लिहाजा इसके पूर्व सदस्य निर्दलीय के तौर पर चुनावी मैदान में हैं। जमात ने राशिद इंजीनियर की पार्टी आवामी इत्तेहाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है। राशिद इंजीनियर कथित टेरर फंडिंग केस में पिछले पांच सालों से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे। हाल ही में उन्हें जमानत मिली है। लोकसभा चुनावों में बारामूला सीट से राशिद ने उमर अब्दुल्ला को मात देकर कश्मीर की सियासत में उलटफेर कर दिया। बारामूला के परिणाम से उत्साहित राशिद की पार्टी बड़े जोश से विधानसभा चुनावों में हिस्सा ले रही है। इस चुनाव में एक और बात नोट करने वाली है कि बड़ी संखया में वो लोग भी हिस्सा ले रहे हैं, जो आतंकी गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं। हालांकि देखना होगा कि चुनाव नतीजों के बाद क्या वे हिंसा की ओर लौटेंगे या सियासी तौर पर अपनी पारी को आगे बढ़ाएंगे।
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