पंजाब 17 फरवरी। अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे भारतीयों का तीसर बैच 16 फरवरी को रात 10 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। अमेरिकी एयरफोर्स के सी-17 ए ग्लोबमास्टर विमान में 112 लोगों आए हैं। इनमें हरियाणा के 44 और पंजाब के 33 लोग शामिल हैं। करीब 6 घंटे की पूछताछ के बाद ये लोग एयरपोर्ट से बाहर आए। हरियाणा के लोगों के लिए पुलिस के अधिकारी वॉल्वो बस लेकर पहुंचे। एयरपोर्ट पर अमृतसर की डीसी साक्षी साहनी भी पहुंचीं। उन्होंने कहा कि सभी लोग शारीरिक रूप से तंदुरुस्त हैं। डिपोर्ट किए गए लोगों में कुछ बच्चे भी शामिल हैं। बच्चों को डाइपर के साथ दूध उपलब्ध करवाया। बताया जा रहा है कि देश के 18 हजार लोगों को भारत भेजा जाएगा, जिनमें करीब 5 हजार लोग हरियाणा हैं। अब तक कुल 332 भारतीय डिपोर्ट हो चुके हैं।
लुधियाना का डिपोर्ट युवक गिरफ्तार
लुधियाना के ससराली कॉलोनी निवासी 26 वर्षीय गुरविंदर सिंह को दूसरे बैच में अमेरिका ने डिपोर्ट कर दिया। गुरविंदर को बीती देर रात जमालपुर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गुरविंदर के खिलाफ स्नैचिंग का मामला दर्ज किया है। उसके पिता दारी सिंह, जो पंजाब पुलिस के कॉन्स्टेबल और भूतपूर्व सैनिक हैं। गुरविंदर के परिवार में शादी समारोह है। मंगलवार को गुरविंदर के चचेरे भाई की शादी का हवाला देकर परिवार ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया। रिश्तेदारों ने बताया कि गुरविंदर के डिपोर्ट की अचानक खबर से वे सदमे में हैं और शादी समारोह में खलल डाले बिना स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिकी सैनिकों ने पगड़ी कूड़ेदान में फेंकी
अमेरिका से डिपोर्ट होकर आया सिख युवक अमृतसर एयरपोर्ट पर बिना पगड़ी के दिखा। युवक अमृतसर का मंदीप सिंह भारतीय सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद उसके बदले मिली रकम और पत्नी के गहने बेच वह डंकी रूट से अमेरिका गया। जहां अमेरिकी सैनिकों ने उसकी पगड़ी उतारकर कूड़ेदान में फेंक दी। उसकी दाढ़ी और सिर के बाल भी काट दिए गए। इसके बाद जब डिपोर्ट किया गया तो हाथ-पैरों में हथकड़ी और बेड़ियां डाल दी गईं।
कपूरथला के युवक को एजेंटों ने लगाया करंट
कपूरथला के गांव चक्केकी निवासी 19 वर्षीय निशान सिंह की अमेरिका जाने की कोशिश विफल हो गई। उज्जवल भविष्य की आशा में परिवार ने जमीन गिरवी रखकर और सोना बेचकर 35 लाख रुपए जुटाए, लेकिन एजेंट ने उन्हें धोखा दे दिया। डंकी के दौरान रास्ते में उन्हें टैंकर में छिपाकर ले जाया गया। इस दौरान उनके पैर में गंभीर चोट लगी, लेकिन कोई इलाज नहीं किया गया। एजेंटों ने मारपीट की और करंट भी लगाया। कई देशों से होते हुए 24 जनवरी 2025 को वे अमेरिकी कैंप पहुंचे, जहां भी उनकी स्थिति दयनीय रही। वहां मौजूद पाकिस्तानी अनुवादक ने उन्हें भारत वापस भेजे जाने की सूचना दी।