हरियाणा में कांग्रेस ने सीएलपी लीडर नहीं चुना, फंसा है ‘तकनीकी-पंगा’

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सैनी सरकार अब कांग्रेस को भेजेगी टाइम बाउंड रिमाइंडर, 15 दिन पहले मांगा था सीएलपी लीडर का नाम

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सरकार का तकनीकी-संकट, नेता विपक्ष की सहमति के इंतजार में आरटीआई की 10 हजार शिकायतें लटकीं

चंडीगढ़, 16 मई। हरियाणा में गुटबाजी की शिकार कांग्रेस विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाम अब तक तय नहीं कर पाई। जबकि सूबे की सैनी सरकार दो हफ्ते पहले बाकायदा कांग्रेस को इस बाबत पत्र लिख चुकी है। इसके बावजूद पार्टी ने कोई जवाब नहीं दिया।

हरियाणा सरकार अब गंभीर :

कांग्रेस की इस घोर-लापरवाही पर अब हरियाणा की बीजेपी सरकार ने गंभीर रुख अपना लिया है। कांग्रेस को बाकायदा टाइम-बाउंड रिमाइंडर भेजने का निर्देश मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने दिया है। अगर इसके बाद भी कांग्रेस ने  जवाब नहीं दिया तो कानूनी सलाह लेकर अगली कार्रवाई होगी। गौरतलब है कि मुख्य सचिव ने एक मई को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को इस बारे में चिट्‌ठी लिखी थी। जिसमें आगाह किया था कि सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त के 7 पद खाली हैं। नेता प्रतिपक्ष नहीं होने से ये नियुक्तियां लटकी हैं।

हजारों आरटीआई भी अधर में :

मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्तियां ना होने से मुख्यालय में आरटीई के जवाब नहीं दिए जा पा रहे। ऐसे में 10 हजार के करीब आरटीआई के जवाब पेंडिंग हैं। इन नियुक्तियों के लिए सदन में नेता प्रतिपक्ष का होना जरुरी है। मुख्य सचिव की चिट्‌ठी में नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने को कांग्रेस के 37 विधायकों में से किसी एक को प्रतिनिधि नामित कर सरकार को सूचित करने का आग्रह किया गया था। सीएम ऑफिस से मेल के जरिए और व्यक्तिगत रूप से भी यह सूचना कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को दी गई। दरअसल, आरटीआई एक्ट में यह व्यवस्था है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनी तीन मेंबरी कमेटी ही करेगी। इस कमेटी में सीएम और एक मंत्री के अलावा नेता प्रतिपक्ष होना जरूरी है। ताकि संवैधानिक पदों पर नियुक्ति में विश्वसनीयता बनी रहे।

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