साइबर क्राइम और बैटिंग एप की रडार पर लुधियाना, सीबीआई ने उठाया किंगपिन का प्यादा
लुधियाना 23 नवंबर। लुधियाना में अब लगातार साइबर क्राम और बैटिंग एप के जरिए ठगी करने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते सीबीआई की टीमों द्वारा इन पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया गया है। चर्चाएं हैं कि सीबीआई की और से लुधियाना से इस नौसरबाजी धंधे के किंगपिन के प्यादे को लुधियाना से फिल्मी स्टाइल में गिरफ्तार कर लिया है। चर्चा है कि उक्त प्यादे को लुधियाना के लाडोवाल टोल प्लाजा के पास से हिरासत में लिया गया है। जहां पर वह अपनी कार से जा रहा था। इसी दौरान टीमों ने उसके आगे पीछे अपनी कारें लगाकर रोककर हिरासत में ले लिया है। चर्चा है कि यह कार्रवाई सीबीआई की दिल्ली व चंडीगढ़ की टीमों द्वारा की गई है। चर्चा है कि इस प्यादे के पकड़े जाने पर कई सफेद चेहरे बेनकाब होंगे। चर्चा है कि इस नौसरबाजी के धंधे में कई मीडिया कर्मियों के शामिल होने की भी आशंका है।
गिरोह में कई किंगपिन, मैनेजर, बैंक कर्मी शामिल
चर्चा है कि पंजाब में पिछले डेढ़ साल से नौसरबाजों द्वारा ठगी करने के नए तरीके अपनाने शुरु कर दिए हैं। उनकी और से गिरोह बनाकर यह काम किया जा रहा है। जिसमें साइबर ठग, ऑनलाइन गेमिंग एप चलाने वाले किंगपिन, बैटिंग एप चलाने वाले कारिंदे, मल्टीलेवल कंपनियों के मैनेजर, मोबाइल शोरुम के मालिक व बैंकों के अकाउंट खोलने वाले मुलाजिम शामिल हैं।
गिरोह के सभी सदस्यों की अलग अलग जिम्मेदारी
चर्चा हैं कि उक्त गिरोह में शामिल सभी लोगों को अलग अलग जिम्मेदारी दी जाती है। जिसमें साइबर ठगों को नामी लोगों को शिकार बनाने, ऑनलाइन गेमिंग व बैटिंग एप के किंगपिन्स को लोगों को बैंक खाते देने और बैंक कर्मियों को अकाउंट खोलने की जिम्मेदारी दे रखी है। वहीं मोबाइल शोरुम, गारमेंट शोरुम और मल्टीलेवल कंपनियों के मैनेजरों के जरिए ठगी की रकम को कैश कराने और एडजस्ट करने के काम में लगाया जाता है।
युवाओं को लालच देकर बनाया जा रहा शिकार
चर्चा है कि उक्त नौसरबाजों द्वारा युवाओं को जल्द अमीर बनने का लालच देकर अपने जाल में फंसाया जाता है। उनकी और से युवाओं को कुछ पेमेंट देकर उनके आईडी प्रूफ ले लिए जाते हैं। जिनके जरिए बैंक खाते खोले जाते हैं। जो युवा अनपढ़ हो, उनके बैंक खातों में नौसरबाज अपने मोबाइल नंबर दे देते हैं। फिर उन खातों से ट्रांजेक्शन की जाती है।
ऐसी ब्लैक मनी की जा रही व्हाइट
चर्चा है कि साइबर ठगों, बैटिंग एप व ऑनलाइन गेमिंग एप के जरिए लोगों के साथ ठगी का जाती है। फिर उक्त पेमेंट को अलग अलग जाली खोले खातों में ट्रांसफर किया जाता है। फिर उक्त पेमेंट से मल्टीलेवल कंपनियों, गारमेंट व मोबाइल शोरुम से थोड़ी शॉपिंग कर ली जाती है, जबकि बाकी की पेमेंट कैश में ले ली जाती है। जिसमें कंपनियों के मैनेजरों और शोरुम मालिकों की हिस्सेदारी भी होती है। इस पूरे खेल में उन्हीं शोरुम को चुना जाता है, तो मेन मार्केट में हो और जिनकी सेल ज्यादा हो। ताकि वह इस पेमेंट को एडजस्ट कर सकें। इस तरह करके ठग खेल करते हैं और इससे पुलिस भी इन मैनेजरों और शोरुम मालिकों तक नहीं पहुंच पाती। अगर पहुंच भी जाए तो वह कह देते हैं, उनसे शॉपिंग की है, वह इसमें क्या कर सकते हैं।
पहले मीडिया कर्मियों ने किया था बचाव
चर्चा है कि इससे पहले भी सीबीआई की और से इस गिरोह के एक मेंबर को हिरासत में लिया था। लेकिन चर्चाएं हैं कि एक मीडिया कर्मी द्वारा उसे बेकसुर बताते हुए बचाव कर लिया था। सीबीआई ने उसे छोड़ा तो उक्त मेंबर को लगा कि उसका बचाव हो गया है। लेकिन असलियत में सीबीआई ने यह जाल बिछाया था, ताकि मुख्य सरगना तक पहुंचा जा सके। जिसके बाद अब सीबीआई ने यह एक्शन लिया है।
