वक्फ संशोधन बिल पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच संयोजक इंद्रेश जी से बातचीत
लखनऊ का प्रेस क्लब आज एक असाधारण नज़ारे का गवाह बना। आमतौर पर सियासी नारों या पत्रकार वार्ताओं का मंच बनने वाला यह स्थान आज मुस्लिम समुदाय से खचाखच भरा था। मंच पर मौजूद थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इन्द्रेश कुमार। उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम और मुस्लिम समाज के भीतर इसके लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने की ठानी है। जनहितैषी न्यूज़ की विशेष टीम ने इस मौके पर इन्द्रेश कुमार से विस्तृत बातचीत की। आइए जानते हैं उनके विचार और दृष्टिकोण।
सवाल — मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इस अधिनियम को लेकर जागरूकता क्यों फैला रहा है?
जवाब — वक्फ संशोधन अधिनियम 2023 को लेकर बहुत ग़लतफहमियाँ फैलाई जा रही हैं, खासकर यह कि सरकार वक्फ संपत्ति छीनना चाहती है। जबकि सच यह है कि यह बिल। बिल माफिया और फर्जी कब्जाधारियों के खिलाफ एक कार्रवाई है। हमारा प्रयास है कि मुसलमानों को सच बताया जाए और उन्हें डर की राजनीति से निकाला जाए।
सवाल — क्या आप मानते हैं कि मुसलमानों के मन में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर संदेह है?
जवाब — कुछ वर्गों ने मुसलमानों को यह यक़ीन दिलाया कि मोदी उनके खिलाफ हैं। पर यह झूठ है। मुस्लिमों को मोदी को संदेह की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। वे सबका साथ सबका विकास की नीति पर काम कर रहे हैं। वक्फ अधिनियम भी इसी नीति का हिस्सा है पारदर्शिता और जनहित की दिशा में।
सवाल — क्या यह अधिनियम वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करता है?
जवाब — नहीं, यह बिल वक्फ बोर्ड की भूमिका को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है। कई वर्षों से शिकायतें थीं कि वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग हो रहा है। यह संशोधन उसी पर रोक लगाने के लिए है।
सवाल — क्या यह धर्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं है?
जवाब — बिलकुल नहीं। यह कानून धार्मिक संस्थानों के कामकाज में नहीं, बल्कि प्रशासनिक और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए है। यह वैसा ही है जैसे मंदिरों की देखरेख के लिए ट्रस्ट बनते हैं, गुरुद्वारों के लिए एसपीजीसी है। वक्फ की भी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए।
सवाल — लखनऊ जैसे शहरों में इतने बड़े मुस्लिम जमावड़े को आप किस रूप में देखते हैं?
जवाब — यह बदलाव का संकेत है। मुस्लिम समाज अब खुद समझना चाहता है कि उन्हें कोई भ्रम में नहीं रख सकता। लखनऊ की मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी बताती है कि यह जागरूकता अब गहराई तक पहुंच रही है।
सवाल — क्या आरएसएस और मुस्लिम समाज के बीच की दूरी अब कम हो रही है?
जवाब — हमें समाज से दूरी नहीं लगती। हमने कभी किसी धर्म या जाति से नफरत नहीं की। जो ‘हिंदू बनाम मुस्लिम’ का झूठा विमर्श फैलाते हैं, वही असली फासले पैदा करते हैं। आरएसएस चाहता है कि भारत का हर नागरिक पहले भारतीय हो, फिर जो भी वह धर्म माने।
सवाल — विपक्ष इस बिल को ‘सांप्रदायिक हमला’ बता रहा है — आपकी प्रतिक्रिया?
जवाब — विपक्ष ने मुस्लिम समाज को वोट बैंक समझा, उन्हें शिक्षित या आत्मनिर्भर बनाने के बजाय डराया। अब जब सरकार कुछ ठोस कदम उठा रही है, तो वे इसे सांप्रदायिकता कह रहे हैं। सच तो ये है कि यह बिल मुस्लिम समाज को लुटने से बचाने वाला है।