लोक सभा चुनाव बठिंडा सीट: हरसिमरत बादल की चौतरफा घेराबंदी,सभी नेता कद्दावर

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

चंडीगढ/यूटर्न /28 मई: बठिंडा से अकाली दल प्रत्याशी की चुनावों में बठिंडा से इस तरह घेराबंदी की गई है कि जीत किसे मिले इसका अंदाजा लगाना भी मुशकिल है,क्योंकि सभी नेता कद्दावर है। किसानों के मुद्दे पर भाजपा से गठबंधन टूटने और शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक बड़े बादल यानी प्रकाश सिंह बाल के निधन के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है। उससे चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। शिअद ने अपना गढ़ बचाने और आप ने छीनने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। बठिंडा में लोगों का कहना था कि लगातार जीत के आदी रहे बुजुर्ग बड़े बादल हार का सदमा सहन नहीं कर पाए और एक साल पूरा होते-होते उनका निधन हो गया। वह बहुत अच्छे नेता थे। जब वह मुखयमंत्री थे तो कांग्रेस और आप के नेता अलग-अलग उनके आवास पर धरना देने पहुंच गए। बड़े बादल ने उनके लिए टेंट लगवाए और उनकी बात सुनी। आज कहां हैं ऐसे लोग? इस सीट पर बादल की बहू व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर लगातार तीन बार से सांसद हैं और चौथी बार मैदान में हैं। आप ने अब हरसिमरत के सामने गुरमीत सिंह खुडियां को ही उतारा है। खास बात है कि बठिंडा लोकसभा क्षेत्र में जो नौ विधानसभा सीटें हैं, वर्तमान में उन सभी पर आप का ही कब्जा है। मुश्किलें इतनी भर नहीं हैं। गठबंधन तोडऩे से नाखुश भाजपा भी अपने पुराने सहयोगी दल को जैसे सबक सिखाने पर आमादा है। उसने पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर को प्रत्याशी बनाया है। परमपाल वीआरएस लेकर चुनाव मैदान में आई हैं। परमपाल बादल परिवार के करीबी पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका की बहू हैं। हालांकि, मलूका ने अभी तक अकाली दल नहीं छोड़ा है। दूसरी ओर बार-बार इस सीट पर मात खा रही कांग्रेस तो जैसे ताक में ही थी। उसने भी पुराने कांग्रेसी और तीन बार के विधायक रहे जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू की अकाली दल से घर वापसी करवाकर उतार दिया है।कहा जाता है कि पंजाब की सियासत का दरवाजा मालवा से खुलता है और बठिंडा इसका केंद्र होता है। शिअद ने अपना गढ़ बचाने और आप ने छीनने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।
मुफत के वादों से मतदाताओं में बेचैनी भी
लोग कहते है कि बिजली सस्ती चाहिए, मुफत नहीं। सस्ती व अच्छी पढ़ाई चाहिए। नशाखोरी पर बंदी चाहिए। मुफतखोरी से कर्ज बढ़ेगा और उसकी कीमत बाद में हम ही चुकाएंगे। सिर्फ इलाज मुफत होना चाहिए। किसान भाजपा छोड़ सब पार्टियों में बंटे हैं। बाहरी लोग राम मंदिर बनने से मोदी के साथ हैं।
मनप्रीत का मन कहां
बड़े बादल के भतीजे व पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल पहले शिअद का हिस्सा थे। बाद में कांग्रेस में चले गए। हरसिमरत से ही 2014 का आम चुनाव हारे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद मनप्रीत भाजपा में शामिल हो गए। लोगों का कहना था कि मनप्रीत जिस दल में रहते हैं, वहां उनका मन नहीं लगता। 2019 में कांग्रेस में थे। लेकिन, चर्चा रही कि अंदरखाने अपनी भाभी हरसिमरत की मदद की। तब कांग्रेस के दिग्गज नेता व मौजूदा प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग हरसिमरत से हार गए। मनप्रीत इस बार भाजपा में हैं। वह दूसरी सीटों पर तो नजर आ रहे हैं, लेकिन बठिंडा में नहीं दिख रहे हैं।
—————

स्वतंत्रता दिवस समागमों के मद्देनज़र पंजाब पुलिस ने राज्य भर की ज़िला और सब-डिविज़नल अदालतों में चलाई घेराबन्दी और तलाशी मुहिम पुलिस टीमों ने पंजाब भर में 694 संदिग्ध व्यक्तियों की तलाशी ली, 1160 वाहनों की जांच की युद्ध नशों विरुद्ध को जारी रखते हुये पंजाब पुलिस द्वारा 157वें दिन 1.5 किलो हेरोइन समेत 109 नशा तस्कर गिरफ़्तार डी एडिकशन के हिस्से के तौर पर पंजाब पुलिस ने 79 व्यक्तियों को नशा छोड़ने का इलाज लेने के लिए राज़ी किया

संसद में व्यवधान को लेकर संत सीचेवाल ने राज्यसभा के उपसभापति और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखा संसद में हंगामे के कारण करदाताओं का करोड़ों रुपया बर्बाद हो रहा है सत्रों के दौरान हर मिनट ₹2.5 लाख खर्च

स्वतंत्रता दिवस समागमों के मद्देनज़र पंजाब पुलिस ने राज्य भर की ज़िला और सब-डिविज़नल अदालतों में चलाई घेराबन्दी और तलाशी मुहिम पुलिस टीमों ने पंजाब भर में 694 संदिग्ध व्यक्तियों की तलाशी ली, 1160 वाहनों की जांच की युद्ध नशों विरुद्ध को जारी रखते हुये पंजाब पुलिस द्वारा 157वें दिन 1.5 किलो हेरोइन समेत 109 नशा तस्कर गिरफ़्तार डी एडिकशन के हिस्से के तौर पर पंजाब पुलिस ने 79 व्यक्तियों को नशा छोड़ने का इलाज लेने के लिए राज़ी किया

संसद में व्यवधान को लेकर संत सीचेवाल ने राज्यसभा के उपसभापति और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखा संसद में हंगामे के कारण करदाताओं का करोड़ों रुपया बर्बाद हो रहा है सत्रों के दौरान हर मिनट ₹2.5 लाख खर्च