बीजेपी ने जीवन गुप्ता को बनाया प्रत्याशी, इस चौंकाने वाले फैसले की पार्टी वर्करों में भी तमाम चर्चाएं
लुधियाना, 31 मई। आखिरकार लुधियाना वैस्ट विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उप चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार जीवन गुप्ता को घोषित कर दिया। पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की ओर से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने औपचारिक तौर पर इसकी घोषणा कर दी।
‘जीवन’ का राजनीतिक-जीवन लंबा,
मगर चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं :
बस्सी पठाना के कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाले भाजपा नेता जीवन गुप्ता का राजनीतिक-सफर वहीं से शुरु हो गया था। जनसंघ के मातृ-संगठन से जुड़े रहे जीवन गुप्ता बीजेपी बनने के बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा में सक्रिय हुए थे। फिर उनका परिवार लुधियाना आने के बाद वह लंबे समय से भाजपा में संगठनात्मक स्तर पर सक्रिय रहे। दो बार पार्टी के प्रांतीय महासचिव रहे जीवन गुप्ता फिलहाल बीजेपी कोर कमेटी के सदस्य हैं। हालांकि लोकसभा, विधानसभा या नगर निगम का चुनाव लड़ने के मामले में उनका कोई अनुभव नहीं रहा।
चर्चाएं, सिद्धू को रिपीट क्यों नहीं किया, बाहरी प्रत्याशी क्यों नहीं लाई भाजपा :
इस उप चुनाव में नामाकंन 2 जून तक ही होने हैं, ऐसे में 31 मई को भाजपा ने अपने प्रत्याशी का ऐलान किया। जाहिर तौर पर सभी प्रमुख पार्टियों की निगाहें भाजपा पर टिकी थीं। अब जीवन गुप्ता को पार्टी प्रत्याशी बनाने के बाद तमाम तरह की चर्चाएं भी शुरु हो गईं। पार्टी के इस चौंकाने वाले फैसले से सियासी-जानकार ही नहीं, भाजपा वर्कर भी तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। यहां उल्लेखनीय है कि लुधियाना वैस्ट से ही पिछला विस चुनाव लड़ चुके सीनियर एडवोकेट बिक्रम सिंह सिद्धू को ही सबसे सशक्त दावेदार माना जा रहा था। दरअसल, उनके चुनाव लड़ने पर भाजपा का वोट-प्रतिशत भी बढ़ा था, भले ही वह खुद चुनाव हार गए थे। लिहाजा चर्चा जोरों पर रही कि इस बार फिर सिद्धू ही उम्मीदवा होंगे। इसके अलावा इस उप चुनाव में यह भी जोरदार चर्चा रही थी कि पार्टी इस सीट पर किसी बड़े महिला चेहरे को उतार सकती है। इन दोनों खास चर्चाओं के उलट पार्टी ने जीवन गुप्ता को उम्मीदावर बनाकर सबको चौंका दिया।
‘राजनीतिक-जीवन’ आखिर किसे मिलेगा ?
अब सबसे बड़ी चर्चा यही हो रही है कि भाजपा के प्रत्याशी जीवन गुप्ता के इस उप चुनाव में उतरने का
फायदा आखिर किसे मिलेगा ? सियासी-माहिरों की मानें तो भाजपा के आप-फोबिया के चलते गुप्ता ने भी प्रत्याशी बनते ही आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा के खिलाफ अपरोक्ष-मोर्चा खोल दिया। जबकि राज्यसभा सांसद बनने के बाद से ही विकास पर फोकस करने वाले अरोड़ा ने भाजपा पर पलटवार करना तो दूर कांग्रेसी उम्मीदवार भारत भूषण आशु के आरोपों का भी नाम लेकर कभी नकारात्मक जवाब नहीं दिया। लिहाजा ऐसे में माहिरों का मानना है कि अगर बीजेपी उम्मीदवार आशु के खिलाफ मोर्चा खोलते तो किसी हद तक पंजाब में कांग्रेस सरकार के दो कार्यकाल व आशु पर बड़े सवाल उठा सकते थे। जबकि आप सरकार के महज तीन साल के कार्यकाल और खासकर अरोड़ा के रिपोर्ट कार्ड पर सवाल उठाने की गुंजाईश कम ही नजर आती है। वैसे भी बड़े कारोबारी होने के नाते अरोड़ा के साथ उद्योग-जगत की नामी हस्तियां खुलकर खड़ी हैं। लुधियाना में शायद ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है। वैसे उद्यमियों की नजर भी भाजपा के प्रत्याशी घोषित करने के फैसले पर थी। अब ताजा हालात में उद्यमी-वर्ग सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार अरोड़ा की तरफ से प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के उम्मीदवार आशु या बीजेपी की तरफ रुख करेगा, ऐसी संभावनाएं कम ही हैं।
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