मुझे अरोड़ा में नजर आते हैं टाटा, सोनिया मान के छलके जज्बात…
लुधियाना, 8 जून। फिलहाल इंडस्ट्रियल-सिटी लुधियाना में तापमान तो गर्म है ही, सियासी-माहौल भी गर्माया हुआ है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा के हक में पार्टी की स्टार-प्रचारक व सिने-अभिनेत्री सोनिया मान ने भी मोर्चा संभाल लिया है। इस उप चुनाव को लेकर ‘यूटर्न टाइम’ से खास बातचीत में उन्होंने दोटूक राय जाहिर की।
सुश्री मान ने अपने जज्बात जाहिर करते हुए कहा कि आप उम्मीदवार अरोड़ा हकीकत में देश-दुनिया की नामचीन हस्ती रतन टाटा जैसे हैं। वो उनके नक्शे-कदम हैं, उनका समाजसेवा का जज्बा टाटा जैसा ही है। यह जानकर मैं जज्बाती हो गई थीं कि राजनेता बनने से पहले भी बतौर उद्यमी-समाजसेवी के तौर पर अरोड़ा ने एक बच्चे की जिंदगी बचाने को लगने वाला 20 करोड़ के बेशकीमती इंजेक्शन मंगवाने को कंपनी से खुद संपर्क कर उसकी कीमत कम रहा 14 करोड़ तय कराई थी। फिर निजी स्तर पर सहयोग के अलावा कई नामी लोगों से मदद लेकर वह इंजेक्शन उस बच्चे की खातिर मंगवाकर दिया था। कुछ महीनों पहले ही पार्टी में शामिल होने से पहले सोनिया मान के मुताबिक उन्होंने बेहद करीब से राजनेताओं को समझा-परखा था। उसी आधार पर उन्होंने लुधियाना वैस्ट हल्के के लोगों से आग्रह किया कि प्लीज आप अरोड़ा जैसे समाजसेवी की ‘कद्र’ करते हुए उनको जिताएं। जो उद्यमी-राजनेता से पहले हकीकत में एक असली जनप्रतिनिधि हैं, जिन्होंने आप की अलग इमेज बनाई है।
सिर्फ मान का ‘मान’ नहीं, काबलियत का सम्मान !
सुश्री मान ने एक तीखे सवाल पर गंभीरता से कहा कि सीएम भगवंत सिंह और वह खुद संयोग से ‘मान’ हैं, महज इसलिए आप ज्वाइन नहीं की। हकीकत में ‘मान’ का सम्मान किया, पार्टी सुप्रीमो केजरीवाल उच्च-शिक्षित हैं तो ‘मेरे भाई’ जैसे भगवंत मान काबिल कलाकार-सीएम हैं। किसान आंदोलन में मेरा जुड़ाव खुद किसानी-परिवार से होने के साथ ही वामपंथी विचारधारा से जुड़े पिता की इच्छा पूरी करना था। तब सोचा भी नहीं था, लेकिन संयोग से राजनीति में आ गईं।
उन्होंने बिना किसी का नाम लिए बेबाकी से कहा कि जनता के जहन में जनप्रतिनिधि की यह इमेज बन चुकी है कि बिना पैसा दिए उनका कोई काम नहीं हो सकता है। लोग मेरे पास भी अपने काम कराने के लिए मिठाई ही नहीं, गिफ्ट भी लेकर आते थे। उनको समझाना पड़ता था। ये संस्कार मुझे पिता बलदेव सिंह मान से मिले थे, जिन्होंने भूतपूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल जैसी हस्ती के बड़े राजनीतिक-प्रस्ताव तक ठुकरा दिए थे।
काले दौर में ‘निखरी’ थी सोनिया की सोच
फिल्म-स्टार और आप की स्टार प्रचारक बनकर क्या फर्क लगा, इस पर सोनिया बोलीं कि पंजाब के काले दौर में सक्रिय एक्टिविस्ट-वामपंथी नेता सतपाल डंग-बिमला डंग और वरिष्ठ भाजपा नेत्री प्रोफेसर लक्ष्मीकांत चावला से बचपन में प्रेरणा मिली थी। इन आदर्श-जन नायकों ने जनता को ही अपनी संतान मानकर जनसेवा की। मौजूदा वक्त आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और सीएम भगवंत मान ने प्रेरित किया। जैसे मान कंफर्ट-जोन छोड़कर राजनीति में चुनौतियों का सामने करने उतरे, ऐसा ही कुछ मेरे साथ है।
दौलत-शोहर से बड़ी होती है आत्म-संतुष्टी :
सोनिया साफगोई से बोलीं, मुझे भी बतौर कलाकार सीएम मान की तरह आसानी से कमाने-जीने के बेहतर मौके थे। मगर बुनियादी बात, आत्मा तो सवाल करती है कि दुनिया में आकर तुमने समाज के लिए क्या आखिर किया ? सिर्फ दौलत कमाने से संतुष्टि नहीं मिलती। पंजाब की आप सरकार के नशे के विरुद्ध युद्ध मुहिम के दौरान जब किसी बिलखती मां के आंसू पोंछने का मौका मिलता है तो मुझे असली संतुष्टि मिलती है। हंसकर यह भी बोलीं कि मैंने ‘माझा से आकर मालवा में जलवा’ दिखाने वाला कोई करिश्मा नहीं किया, आप कहीं भी जाकर ईमानदारी से मेहनत करेंगे तो आपकी खुद ही पहचान बनेगी।
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