जनहितैषी, 7 जून, लखनउ/अयोध्या । रामनगरी रुदौली से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। रुदौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से महज कुछ कदम की दूरी पर एक महिला ने झाड़ियों में नवजात को जन्म दिया। यह दृश्य न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार करने वाला है, बल्कि शासन-प्रशासन के दावों को आईना दिखाने वाला भी है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिला स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने की स्थिति में थी, लेकिन किसी कारणवश उसे समय से इलाज नहीं मिल पाया। नतीजतन, उसे झाड़ियों में ही प्रसव के लिए मजबूर होना पड़ा। स्थानीय लोगों ने जब महिला की हालत देखी तो उन्होंने पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर एंबुलेंस पहुंची और जच्चा-बच्चा को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब स्वास्थ्य विभाग लगातार अपने कामकाज को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहा है। कागजों में सीएमओ की सख्ती जरूर दर्ज है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। रुदौली सीएचसी पहले भी लापरवाही और अव्यवस्था को लेकर सुर्खियों में रहा है। बीते दिनों प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने जब इस सीएचसी का औचक निरीक्षण किया था, तब भी कई खामियां पाई गई थीं और तत्काल प्रभाव से सीएचसी के प्रभारी को हटा दिया गया था।
अब जबकि फिर से ऐसी हृदयविदारक घटना सामने आई है, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सिर्फ निरीक्षण और कार्रवाई भर से स्वास्थ्य व्यवस्था सुधर सकती है? क्या प्रशासन को जमीनी स्तर पर तंत्र को ठीक करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाना चाहिए?
इस घटना के बाद विपक्ष ने भी सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि “योगी सरकार कागजों में बेहतरीन स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा करती है, लेकिन सच्चाई यह है कि गरीब महिलाओं को झाड़ियों में बच्चों को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।”
फिलहाल मां और बच्चा खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं, लेकिन यह घटना लंबे समय तक रुदौलीवासियों के ज़ेहन में सवाल छोड़ जाएगी कि आखिर जब अस्पताल कुछ कदम की दूरी पर था, तब क्यों एक महिला को झाड़ियों में बच्चे को जन्म देना पड़ा?
स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन से जवाबदेही की उम्मीद की जा रही है। उम्मीद है कि इस बार केवल जांच और स्थानांतरण से बात नहीं खत्म होगी, बल्कि सिस्टम में मूलभूत सुधार की शुरुआत होगी।