संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसान आंदोलन की पाँचवीं वर्षगांठ के मौके पर 26 नवंबर को चंडीगढ़ में विशाल “चंडीगढ़ चलो” कार्यक्रम का ऐलान किया है। इसी संबंध में बीकेयू लक्कोवाल की डेराबस्सी इकाई की बैठक स्थानीय दफ्तर में हुई, जिसकी अध्यक्षता सूबा कार्यकारिणी सदस्य मनप्रीत सिंह अमलाला ने की। उन्होंने प्रेस बयान जारी कर बताया कि इस बड़े जुटान में संगठन के सदस्य, वर्कर, पदाधिकारी और सामाजिक-धार्मिक जथेबंदियाँ बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगी।
अमलाला ने कहा कि चंडीगढ़ में होने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य केंद्र और पंजाब सरकार के समक्ष लंबित प्रमुख मांगों को मजबूती से उठाना है। इनमें केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली किसान आंदोलन के दौरान मानी गई मांगों को लागू करवाना, बिजली संशोधन बिल 2025 को रद्द करवाना, बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता व बाढ़ रोकथाम हेतु स्थायी प्रबंध करवाना, टैक्स-मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का विरोध, गन्ना उत्पादक किसानों की लंबित मांगों को पूरा करवाना और पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की सीनेट चुनावों को बहाल करवाना शामिल हैं।
उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा संविधान के 131वें संशोधन बिल में चंडीगढ़ को धारा 240 में शामिल किए जाने का विरोध किया और कहा कि इससे पंजाब के अधिकारों पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस संशोधन के बाद पंजाब के राज्यपाल को चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा, जिससे पंजाब का चंडीगढ़ पर अधिकार पूरी तरह समाप्त होने की स्थिति पैदा हो जाएगी।
अमलाला ने केंद्र सरकार द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी से संबंधित दिए गए बयानों को निराधार और भ्रामक बताया तथा इसे पंजाब के साथ किया जा रहा मज़ाक करार दिया।
उन्होंने 26 नवंबर के इकठ्ठ में बड़े स्तर पर पहुंचने की अपील करते हुए कहा कि किसानों को एकजुट होकर अपने हकों की लड़ाई लड़नी होगी। बैठक में हरी सिंह बहोड़ा, निंका सिंह झरमड़ी, कहर सिंह जडियाला, हरपाल सिंह चौधहेड़ी, लाल सिंह चडियाला, जगतार सिंह जवाहरपुर, गुलाब सिंह बैर माजरा, राम सिंह जंडाली सहित कई किसान नेता मौजूद रहे।
