मुद्दे की बात : वक़्फ़ क़ानून पर विवाद के बीच मोदी का सऊदी अरब दौरा

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भारतीय विदेश मंत्रालय का दावा, सऊदी ने वक्फ मुद्दे पर चर्चा की बात नहीं की

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर हैं। पीएम मोदी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के न्यौते पर रियाद गए है। इससे पहले सितंबर 2023 में भारत में आयोजित जी-20 समिट में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस नई दिल्ली आए थे। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी तीसरी बार सऊदी अरब जा रहे हैं। उनके दौरे पर देश-दुनिया के सियासी-जानकारों के साथ ही मीडिया की भी नजर है।

इससे पहले 2016 और 2019 में मोदी सऊदी अरब गए थे।

पीएम मोदी सऊदी अरब तब जा रहे हैं, जब भारत में वक़्फ़ संशोधन क़ानून को लेकर काफ़ी विवाद है। भारत के मुस्लिम नेतृत्व के सा ही विपक्ष भी इससे ख़फ़ा है, कई राज्यों में इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन जारी हैं। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तो हिंसा के चलेत तीन लोगों की मौत हुई।

वक़्फ़ संशोधन बिल को संसद ने इसी महीने चार अप्रैल को पास कर यह क़ानून बन गया और 1995 के वक़्फ़ एक्ट में कई तरह के बदलाव किए। अब वक़्फ़ की संपत्तियों में केंद्र सरकार की भूमिका बढ़ी। इस्लामिक क़ानून के मुताबिक़ वक़्फ़ उन संपत्तियों को कहा जाता है, जो ख़ासतौर पर धार्मिक और परोपकार के मक़सद से होती हैं। इन संपत्तियों के किसी अन्य तरह के इस्तेमाल या इनकी बिक्री पर पाबंदी होती है। देशभर में फैली वक़्फ़ की 9.4 लाख एकड़ संपत्तियों में वक़्फ़ बोर्ड का नियंत्रण 8.7 लाख एकड़ ज़मीन पर है।

नए क़ानून के मुताबिक़ वक़्फ़ बोर्ड में मु्स्लिम महिलाओं व ग़ैर-मुसलमानों का भी प्रतिनिधित्व होगा। अगर किसी वक़्फ़ संपत्ति की पहचान सरकारी ज़मीन के रूप में होती है तो उसे वक़्फ़ नहीं माना जाएगा। वक़्फ़ बोर्ड से संपत्तियों की जांच का अधिकार भी वापिस ले लिया।

केंद्र सरकार के पास अब रजिस्ट्रेशन, वक़्फ़ के अकाउंट के साथ प्रक्रिया के प्रकाशन का भी अधिकार होगा। केंद्र अब सीएजी या किसी अन्य अधिकारी को वक़्फ़ के खातों की जांच का आदेश दे सकती है। सबसे ज़्यादा चिंता इस बात पर जताई जा रही है कि वक़्फ़ बोर्ड की ताक़त को कम कर ज़िले के डीएम को यह अधिकार दे दिया है। विपक्ष ने वक़्फ़ संशोधन क़ानून को असंवैधानिक और विभाजनकारी बताया है। वहीं मुस्लिम नेताओं का कहना है कि सरकार वक़्फ़ की संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है।

मोदी ऐसे वक़्त में उस देश का दौरा कर रहे हैं, जो दुनियाभर के मुसलमानों के लिए ख़ास है। सऊदी अरब में ही मक्का और मदीने की पवित्र मस्जिदें हैं। मक्का पैग़ंबर मोहम्मद का जन्म स्थल है, ऐसे में दुनियाभर के मुसलमानों के लिए ख़ास है। यह बात सही है कि सऊदी अरब ने भारत में वक़्फ़ संशोधन क़ानून पर जारी विवाद को लेकर सार्वजनिक रूप से अब तक कुछ भी नहीं कहा। सऊदी अरब वैसे भी किसी देश के आंतरिक मसलों पर टिप्पणी से परहेज करता है, उसने वक़्फ़ को लेकर अभी तक कुछ भी नहीं कहा। वहीं, पिछले हफ़्ते पाकिस्तान ने भारत के नए वक़्फ़ क़ानून को मुसलमानों के आर्थिक और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था। इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हम इस बयान को सिरे से ख़ारिज करते हैं, भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का पाकिस्तान के पास कोई अधिकार नहीं है। पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश में भारत के वक़्फ़ संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुआ। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मो. यूनुस के प्रेस सचिव ने भारत में मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी। भारत में विपक्ष मोदी पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाता रहा है, लेकिन ये आरोप इस्लामिक देशों से संबंध गहरे करने में आड़े नहीं आए हैं।

हालांकि जून, 2022 में तत्कालीन बीजेपी नेता नूपुर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिस पर ख़ासा विवाद हुआ था। दुनिया भर के इस्लामिक देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी, तब बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से बाहर किया था। हालांकि मोदी के हिन्दुत्व की विचारधारा अरब के इस्लामिक देशों से संबंध बढ़ाने में आड़े नहीं आई। दरअसल देशों में राजशाही है और लोगों के पास विरोध-प्रदर्शन का अधिकार नहीं है। दिसंबर, 2022 में गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर मोदी ने कहा था कि 2014 के बाद से हमने इस्लामिक देश सऊदी अरब, यूएई और बहरीन से दोस्ती मज़बूत की है। इन देशों के सिलेबस में योग को शामिल किया गया है। भारत के हिन्दुओं के लिए अबूधाबी और बहरीन में मंदिर भी बन रहा है। फ़रवरी, 2019 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत के दौर पर आए थे। वह नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे तो उनकी अगवानी में मोदी खड़े थे। क्राउन प्रिंस तब सऊदी अरब के प्रधानमंत्री भी नहीं बने थे।

इसी दौरे में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में सऊदी क्राउन प्रिंस ने कहा था कि हम दोनों भाई हैं, मोदी मेरे बड़े भाई हैं। पिछले 70 सालों से भारत के लोग दोस्त हैं और सऊदी अरब के निर्माण में ये भागीदार हैं। 2016 के दौरे में मोदी को सऊदी अरब ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘किंग अब्दुल अज़ीज़ साश’ से सम्मानित किया था। इसके बाद पीएम मोदी 2019 में सऊदी गए थे और इसी साल फ़रवरी में सऊदी क्राउन प्रिंस नई दिल्ली आए थे। पीएम मोदी के दूसरे दौरे में सऊदी अरब के साथ स्ट्रैटिजिक पार्टनर्शिप काउंसिल की स्थापना के लिए समझौता हुआ था, जिसमें दो उप-समितियां हैं। एक सियासी, सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंधों के लिए है तो दूसरी आर्थिक, निवेश और तकनीक से जुड़े मुद्दों के लिए है। पीएम मोदी के इस दौरे में स्ट्रैटिजिक पार्टनर्शिप काउंसिल की भी बैठक होगी। इस दौरे को अहम बताते भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सऊदी अरब से भारत की ऊर्जा सुरक्षा जुड़ी है और लाखों की संख्या में भारतीय सऊदी अरब में काम करते हैं। यूएई के बाद सऊदी अरब दूसरे नंबर पर है, जहां सबसे ज़्यादा भारतीय प्रवासी कामगार रहते हैं। सऊदी अरब इस्लामिक दुनिया की मज़बूत आवाज़ है और साथ ही वैश्विक राजनीति में उसकी अपनी ख़ास अहमियत है।

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