मुद्दे की बात : भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच आखिर चर्चा में क्यों है सलाल डैम ?

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इसके पहले चिनाब नदी पर मौजूद बगलिहार बांध को लेकर रहा था दोनों देशों के बीच विवाद

भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बना सलाल बांध चर्चा में है। चिनाब नदी का पानी इसी बांध से होकर पाकिस्तान की तरफ़ जाता है। फिलहाल मीडिया की निगाह भी इस पर है। समाचार एजेंसियों के हवाले से बीबीसी की खास रिपोर्ट सामने आई है। जिसके मुताबिक़ सलाल बांध का केवल एक गेट खुला रखा गया है। पाकिस्तान की तरफ़ जाने वाले पानी के प्रवाह को रोका गया है।

इसे लेकर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर लिखा कि भारत के हित में कड़े फ़ैसले लेने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति होनी चाहिए। पीएम मोदी ने अपने फ़ैसलों में यह दिखा दिया। हालांकि इस मुद्दे पर सरकार की तरफ़ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई। समाचार एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो के ज़रिए यह दिखाया कि सलाल डैम के गेट बंद होने के बाद चिनाब नदी का जलस्तर काफ़ी कम हो गया। दरअसल सलाल बांध परियोजना एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट है। इससे मिलने वाली बिजली जम्मू-कश्मीर के साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और राजस्थान तक पहुंचती है।

जम्मू के रियासी ज़िले में मौजूद सलाल डैम, ज़िला मुख्यालय से क़रीब 23 किलोमीटर दूर है। इस डैम से क़रीब 690 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। यह भारत सरकार के अधीन एनएचपीसी यानि नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन का प्रोजेक्ट है। चिनाब नदी पर बनाया यह बांध एक रॉकफिल यानि चट्टान भरकर बनाया बांध है। यह प्रोजेक्ट जम्मू के रामबन में चिनाब नदी पर मौजूद बगलिहार बांध के नीचे है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया। जिसके बाद से पाकिस्तान की ओर से ऐसी आशंकाएं जताई जा रही थीं कि भारत उसके यहां आने वाले पानी का रुख़ मोड़ सकता है। ऐसी रिपोर्ट्स और वीडियो भी सामने आए, जिनमें जम्मू के रामबन में चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध के सभी फाटक बंद दिख रहे हैं।

यहां काबिलेजिक्र है कि साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते के वक़्त वर्ल्ड बैंक ने बड़ी भूमिका निभाई थी। जबकि साल 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी इस समझौते को नुक़सान नहीं हुआ था। इस समझौते में पहली मुश्किल तब शुरू हुई, जब भारत ने पश्चिमी नदियों पर जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण शुरू किया। पाकिस्तान को इस बात की चिंता थी कि इन परियोजनाओं से पाकिस्तान के लिए पानी का प्रवाह कम हो जाएगा। इसके बाद दोनों देशों के विशेषज्ञों ने साल 1978 में सलाल बांध विवाद को बातचीत से सुलझाया। फिर आया बगलिहार बांध का मुद्दा,  साल 2005 में इस मुद्दे पर बड़ा विवाद हुआ था। जब बगलिहार पनबिजली परियोजना के लिए भारत ने एक बांध बनाने का फ़ैसला किया था। पाकिस्तान को चिनाब नदी पर बनने वाले बांध को लेकर शिकायत थी कि इससे भारत नदियों के पानी पर अपना नियंत्रण कर लेगा। इस विवाद को साल 2007 में विश्व बैंक के एक तटस्थ मध्यस्थ की मदद से सुलझाया गया था।

किशनगंगा परियोजना भी एक विवादास्पद परियोजना थी। इस मामले में भी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की गई, जिसका फ़ैसला साल 2013 में हुआ था। सिंधु आयोग की बैठकों ने इन विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किशनगंगा झेलम की एक सहायक नदी है, जो जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा ज़िले में आकर मिलती है। यह भी एनएचपीसी का प्रोजेक्ट है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ बगलिहार-1 प्रोजेक्ट साल 2008 में पूरा हुआ था, जबकि बगलिहार-2 साल 2015 में पूरा हुआ। वहीं सलाल-1 और 2 प्रोजेक्ट साल 1987 में बनकर तैयार हुए थे। जबकि किशनगंगा प्रोजेक्ट साल 2018 में पूरा हुआ। इनमें से बगलिहार राज्य सरकार की परियोजना है। जबकि सलाल और किशनगंगा परियोजना केंद्र सरकार के अधीन है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद पहली बार भारत ने मौजूदा तनाव के दौरान इस संधि के तहत आने वाले बांध पर कोई काम शुरू किया है। साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते के तहत दोनों देशों के बीच सिंधु और इसकी सहायक नदियों के इस्तेमाल को लेकर सहमति बनी थी। जिनमें झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियां शामिल हैं।

गौरतलब है कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल संधि के तहत, सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया और रावी, ब्यास, सतलुज का पानी भारत को मिला। इसमें ये भी था कि भारत अपनी वाली नदियों के पानी का, कुछ अपवादों को छोड़कर, बेरोकटोक इस्तेमाल कर सकता है। वहीं पाकिस्तान वाली नदियों के पानी के इस्तेमाल का कुछ सीमित अधिकार भारत को भी दिया गया था। जैसे बिजली बनाना, कृषि के लिए सीमित पानी का इस्तेमाल करना शामिल है। इनमें भौगोलिक आधार पर सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों को पश्चिमी नदियों के तौर पर पहचाना जाता है। जबकि अन्य तीनों नदियों को पूर्वी नदी के तौर पर जाना जाता है। ये सभी नदियां हिमालय से निकलती हैं और भारतीय सीमा में अन्य पांचों सहायक नदियां सिंधु नदी में मिलती हैं. फिर यह पाकिस्तान के पंजाब और सिंध इलाक़े से गुज़रते हुए कराची के दक्षिण में अरब सागर में मिल जाती हैं।

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