मुद्दे की बात :  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को देना पडे़गा इस्तीफा ?

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बड़ा सवाल : आखिर यह सरकार इतनी जल्दी राजनीतिक-संकट में कैसे फंस गई

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अचानक एक संकट भरे मोड़ पर पहुंच गई है। सरकार के प्रमुख सलाहकार प्रोफ़ेसर मोहम्मद यूनुस के इस्तीफ़ा देने के बारे में विचार करने से जुड़ी ख़बरें सामने आने के बाद इस सरकार के भविष्य के बारे में अनिश्चतता पैदा हो गई है। फिलहाल राजनीतिक और मीडिया हल्कों में सबसे ज़्यादा चर्चा इसी सवाल पर है कि आख़िरकार प्रोफ़ेसर यूनुस अचानक इस्तीफ़ा देने के बारे में क्यों सोच रहे हैं। इससे भी बड़ा सवाल, सभी सक्रिय राजनीतिक दलों के समर्थन से बनी ये सरकार ऐसे संकट में कैसे फंस गई ?

ये सब ऐसे समय में हो रहा है, जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है और उसने अंतरिम सरकार से समर्थन वापस लेने के संकेत भी दिए हैं। वहीं, दूसरी तरफ़ सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मां ने बीते बुधवार को सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक में चुनाव, रखाइन के लिए एक मानवीय कॉरिडोर के साथ ही मॉब वायलेंस जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की. इनसे जुड़ी ख़बरें मीडिया में भी आई हैं। इन सबके बीच अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने सरकार के दूसरे सलाहकारों के साथ बैठक में ये बताया कि वो इस्तीफ़ा देने के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने नाराज़गी और हताशा जताई कि बाकी दलों के असहयोग और बाधाएं पैदा करने की वजह से उनकी सरकार काम नहीं कर पा रही ह। अब राजनीतिक दल इस स्थिति का अलग-अलग ढंग से विश्लेषण कर रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है।

गौरतलब है कि बीते साल जुलाई में बड़े पैमाने पर आंदोलन के कारण अवामी लीग के सत्ता से हटने के बाद प्रो.यूनुस के नेतृत्व में गठित इस अंतरिम सरकार को उस आंदोलन के नेताओं के अलावा बीएनपी और जमात समेत कई सियासी-पार्टियों व सेना के साथ ही सभी राष्ट्रीय संस्थानों ने पूर्ण समर्थन दिया था। अब राजनेता और विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं कि इतने भारी समर्थन के बावजूद इस सरकार पर नाकाम रहने का आरोप क्यों लग रहा है ?

जानकारों का कहना है कि राजनीति में विभाजन, विभिन्न दलों और सरकारी हितधारकों के हितों को लेकर टकराव अब साफ़ नजर आने लगे हैं। इसीलिए असहयोग का मुद्दा साफ़ हो गया है। सरकार के एक सलाहकार के मुताबिक अपने आवास पर हुई बैठक में मुख्य सलाहकार ने अपने इस्तीफे़ के विचार का जिक्र करते हुए बीएनपी के सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने पर भी निराशा जताई थी। दूसरी ओर, बीएनपी नेताओं का कहना है कि ढाका दक्षिण सिटी कॉरपोरेशन के मेयर के तौर पर पार्टी के नेता इसराक हुसैन को अदालत का समर्थन मिला है, लेकिन इसके बावजूद उनको कार्यभार नहीं सौंपा जा रहा है, इसी वजह से पार्टी आंदोलन कर रही है।

सरकार ने इस मांग को स्वीकार करने में कानूनी बाधा होने की दलील दी है। जमात और एनसीपी समेत विभिन्न दलों में भी इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श का दौर जारी है। जमात के अमीर शफ़ीकुर्रहमान ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में मौजूदा संकट को हल करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का सुझाव दिया है। हालांकि राजनीतिक दल इस बार काफी सावधानी बरतते नजर आ रहे हैं. अलग-अलग नेता भले बयान दे रहे हों, किसी दल ने आधिकारिक तौर पर अब तक कोई बयान नहीं दिया है।

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