एक तीर से कई शिकार, पाकिस्तान-विपक्ष और ट्रंप को इशारों में ही दिए जवाब !
भारत-पाकिस्तान के बीच अघोषित-जंग के दौरान एकाएक सीजर फायर होने पर दोनों तरफ से एक-दूसरे का भारी नुकसान करने के दावे हुए। पाकिस्तान ने तो कदम आगे बढ़कर यहां तक दावे कर डाले कि उसने कई भारतीय एयरबेस को डैमेज किया है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले राष्ट्र को संबोधित किया। फिर अगले ही दिन वह पंजाब के आदमपुर स्थित वायुसेना स्टेशन पहुंच गए। उनके इस दौरे को बेहद गोपनीय रखा गया। इसे लेकर मीडिया में सुर्खियां भी बनी।
अब अहम सवाल कि आखिर आदमपुर को ही मोदी ने क्यों चुना। गौर करें, वहां उन्होंने वायु सेना के सैनिकों और वरिष्ठ अफ़सरों से मिल उन्हें संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आतंक के आकाओं को समझ में आ गया है कि भारत की ओर नज़र उठाने का एक ही अंजाम होगा-तबाही। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, आतंक के विरुद्ध भारत की लक्ष्मण रेखा एकदम स्पष्ट है। अब टैरर- अटैक हुआ तो भारत और पक्का जवाब देगा। ये हमने सर्जिकल स्ट्राइक में देखा, एयरस्ट्राइक में देखा और अब तो ऑपरेशन सिंदूर भारत का न्यू नॉर्मल है। जब पीएम भाषण दे रहे थे तो तस्वीरों में उनके पीछे भारत की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और मिग-29 लड़ाकू विमान देखे जा सकते थे। यह तस्वीर इस बात की ओर इशारा करती है कि प्रधानमंत्री ने सैनिकों के बीच जाने के लिए आदमपुर को ही क्यों चुना।
आदमपुर भारत का दूसरा सबसे बड़ा एयरबेस है, यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा से नज़दीक है।
आदमपुर की रडार और निगरानी क्षमता पंजाब, जम्मू – कश्मीर और राजस्थान के कुछ हिस्सों सहित उत्तर भारत के विशाल हिस्सों को कवर करती है। इसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कार्रवाई के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नौ और 10 मई के बीच, आदमपुर एयरबेस को सीमा पार से निशाना बनाने की कोशिश की गई। भारत ने कहा कि इसे नाकाम कर दिया गया। मोदी के आदमपुर ही जाने की वजह समझने को बीबीसी ने सुरक्षा और राजनीतिक विश्लेषकों से बात की। जिन्होंने इसकी तीन वजहें बताईं। मसलन, भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की तरफ़ से अफ़वाहें उड़ीं कि उसकी मिसाइलों ने आदमपुर में वायु रक्षा प्रणाली को निशाना बनाया है। भारत ने इसका ज़ोरदार खंडन किया।
रक्षा-रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ पूर्व मेजर जनरल एसवीपी सिंह के अनुसार, पाकिस्तान की ग़लत सूचनाओं का सीधे जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री ने आदमपुर को चुना। यहां प्रधानमंत्री की मौजूदगी महज प्रतीकात्मक नहीं थी, यह रणनीतिक तौर पर एक सोचा-समझा जवाबी कूटनीतिक-हमला था। इसके ज़रिए उन्होंने ग़लत सूचनाओं को खारिज किया, यही नहीं उन्होंने भारत के नए सिद्धांत को भी मज़बूती से सामने रखा। यह सिद्धांत सक्रिय रूप से कार्रवाई का है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने जिस एस-400 प्रणाली को नष्ट करने का दावा किया था, उसके सामने खड़े होकर पीएम मोदी ने वायुसैनिकों संबोधित किया। इससे उन्होंने युद्ध की पूरी कहानी ही बदलने के साथ अघोषित-जंग में चले प्रोपेगंडे को भी बदल दिया। ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं की सम्मलित कार्रवाई थी, लेकिन इसमें अहम भूमिका वायुसेना ने निभाई। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने संबोधन के लिए एक एयरबेस का चुनाव, भारत की वायुसेना की क्षमता का अहसास कराने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है।
रक्षा विशेषज्ञ पूर्व लेफ़्टिनेंट जनरल सतीश दुआ इसे विजय यात्रा के रूप में देखते हैं। उनके मुताबिक मोदी ने आदमपुर एयरबेस इसलिए चुना, क्योंकि वायुसेना ने बेहतरीन काम किया। यह ऑपरेशन सिंदूर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह थल सेना का हमला नहीं था। इस बार वायुसेना ने नेतृत्व किया और मज़बूती से कमान संभाली।
मोदी ने अपने इस दौरे के लिए एक फॉरवर्ड एयरबेस का चुनाव किया यानि भारत और पाकिस्तान की सीमा के नज़दीक का एक एयरबेस। उन्होंने सीमा से काफ़ी दूर के एयरबेस का चुनाव नहीं किया। पूर्व मेजर जनरल एसवीपी सिंह भी उनकी इस बात से सहमत हैं। वे कहते हैं, इससे यह एक संदेश दिया गया है कि भारत अब अपने सुरक्षित इलाक़ों से बात नहीं करता। वह अग्रिम पंक्ति से नेतृत्व करता ह। यहां काबिलेजिक्र है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता की है। इसके बाद विपक्ष ने ट्रंप के दावे का इस्तेमाल मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए किया।
राजनीतिक विश्लेषक चंद्रचूड़ सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर हैं। वे कहते हैं कि दुनिया को संदेश देने के अलावा मोदी ने भारत में राजनीतिक संदेश देने के लिए भी आदमपुर को चुना। उन्होंने कहा, विपक्ष के पास हमेशा एक मुद्दा बना रहेगा कि वह पलटकर पूछे कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को कितना नुक़सान हुआ। आदमपुर का उदाहरण सामने लाकर प्रधानमंत्री यह संदेश दे रहे हैं कि भारत को हुए नुक़सान के सभी दावे झूठे हैं।
वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप का बिना सीधे ज़िक्र किए प्रधानमंत्री मोदी इस संघर्ष की अपनी कहानी स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह नहीं कहा कि ट्रंप ग़लत हैं, वह इस बात पर डटे हुए हैं कि संघर्ष विराम के लिए पाकिस्तान की ओर से पहले कॉल आया था। अगर यह कहानी लोगों के बीच कायम रही तो विपक्ष बैकफ़ुट पर आ जाएगा। उन पर आरोप लगेगा कि उन्हें अपने देश की बात पर नहीं बल्कि अमेरिका की बात पर ज़्यादा भरोसा है।
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