ट्रंप सरकार में दुनिया के सबसे शख्स मस्क का विरोध भी होता रहा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क के बीच मतभेद का मुद्दा सुर्खियों में है। अब ट्रंप प्रशासन में एलन मस्क का उथल-पुथल भरा 129 दिनों का कार्यकाल समाप्त हो चुका। इस दौरान मस्क ने सरकारी खर्च में कटौती की, जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था। इस विवाद में ट्रंप समर्थक भी दो जगह बंटे नजर आ रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका में जन्मे एलन मस्क ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राष्ट्रपति ट्रंप को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी यानि डीओजीई में उनके कार्यकाल के लिए धन्यवाद दिया था। ट्रंप के मुताबिक वह मस्क के साथ ओवल ऑफिस में संवाददाता सम्मेलन करेंगे। वास्तव में यह उनका आख़िरी दिन नहीं होगा, क्योंकि वह हमेशा हमारे साथ रहकर हमारी मदद करेंगे। ट्रंप सरकार में मस्क का कार्यकाल चार महीने से कम था, लेकिन सरकारी विभाग में उनके कार्यशैली ने अमेरिकी सरकार में उथल-पुथल मचा दी थी। इसका असर वॉशिंगटन में सत्ता के गलियारों से लेकर पूरी दुनिया में दिखा। इट हाउस में मस्क ने एक ही मिशन के साथ नौकरी स्वीकार की थी कि वह सरकारी खर्चों में यथासंभव कटौती करेंगे। कम से कम दो ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य के साथ शुरुआत कर बाद में एक ट्रिलियन डॉलर और अंत में 150 अरब डॉलर तक आ गई।
डीओजीई के दावे मुताबिक, उसने आज तक संपत्तियों की बिक्री, पट्टे और अनुदान के रद्दीकरण, धोखाधड़ी व अनुचित भुगतान में कमी, नियामक बचत व 20 लाख 30 हज़ार केंद्रीय कार्यबल में से 2 लाख 60 हज़ार लोगों की कटौती कर 175 अरब डॉलर की बचत की। हालांकि आकंड़ों के विश्लेषण में पता चला कि इस दावे के साक्ष्यों में कमी रही। इस मिशन से कई बार विवाद भी पैदा हुआ। मसलन, केंद्रीय न्यायाधीशों ने सामूहिक बर्ख़ास्तगी पर रोक लगा दी और कर्मचारियों को फिर से बहाल करने का आदेश जारी कर दिया। अन्य मामलों में भी प्रशासन को बर्ख़ास्तगी के फै़सले से पीछे हटना पड़ा।
फ़रवरी में राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन ने सैकड़ों केंद्रीय कर्मचारियों की बर्ख़ास्तगी पर रोक लगा दी। इसमें से कुछ परमाणु हथियार सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाल रहे कर्मचारी संवेदनशील पदों पर थे। मस्क ने स्वयं कई बार दोहराया कि सामूहिक बर्ख़ास्तगी में अनिवार्य रूप से ग़लतियां होंगी।
डीओजीई ने मोज़ाम्बिक के एक क्षेत्र को हमास नियंत्रित ग़ज़ा समझकर सहायता कार्यक्रम में कटौती कर दी थी। डीओजीई की डेटा तक पहुंच बनाने की कोशिश के कारण भी विवाद पैदा रहा। सर्वेक्षण बताते हैं कि अमेरिकी नागरिकों के बीच सरकारी खर्च में कटौती लोकप्रिय बनी हुई है। हालांकि मस्क की लोकप्रियता में कमी आई है। ट्रंप के व्हाइट हाउस में एलन मस्क की उपस्थिति ने लोगों को चौंका दिया और संभावित हितों को लेकर सवाल भी उठे। मस्क एक गै़र-निर्वाचित ‘स्पेशल गवर्नमेंट एम्पलॉय’ हैं और अमेरिकी सरकार उनकी कंपनियों की ग्राहक है। उनके कारोबारी साम्राज्य में कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं, जो अमेरिका और विदेशी सरकारों से व्यापार करती हैं। कुछ डेमोक्रेट्स ने मस्क पर अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा कंपनी स्टारलिंक के लिए अपने पद का लाभ उठाने का आरोप लगाया। वहीं, व्हाइट हाउस पर आरोप था कि उसने व्हाइट हाउस के लॉन में एलन की कार कंपनी टेस्ला के निर्मित वाहनों का प्रदर्शन कर कारोबारी मदद की। हालांकि मस्क व ट्रंप ने इस बात को खारिज किया।
दुनिया भर में डीओजीई के साथ मस्क के काम की सबसे ज़्यादा चर्चा उस समय हुई, जब विभाग ने समीक्षा के बाद यूएस एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के 80 फ़ीसदी से ज़्यादा कार्यक्रम ख़त्म बाकी को विदेश मंत्रालय ने अपने में मिला लिया। मस्क और डीओजीई के नेतृत्व में की गई कटौती ट्रंप प्रशासन का नजरिया मानी गई। यूएस एड को पूरी दुनिया में अमेरिकी सॉफ्ट पावर का महत्वपूर्ण साधन माना जाता था। इसीलिए कुछ आलोचकों ने इस बंद करने को वैश्विक मंच पर अमेरिका के घटते प्रभाव का संकेत करार दिया। मस्क और ट्रंप पर उनके विरोधी सालों से बेबुनियाद साजिश की अफ़वाह फैलाने का आरोप लगाते रहे। उनके मुताबिक हाल ही में मस्क ने बेबुनियाद अफ़वाह फैलाई कि दक्षिण अफ्रीका में गोरे अफ़्रीकी नरसंहार जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। ये अफ़वाहें ओवल ऑफ़िस तक पहुंच गईं। सरकार में मस्क के काम से यह भी पता चला कि एकजुट होकर काम करने की सार्वजनिक शपथ के बावजूद भी ‘ट्रंप 2.0’ प्रशासन में तनाव है। वहीं, ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से दोहराते हुए मस्क और डीओजीई के कार्य का समर्थन किया। मस्क के कार्यकाल में उनके और कैबिनेट के सदस्यों के बीच तनाव की ख़बरें भी आईं, जो कि यह मान रहे थे कि डीओजीई की कटौती से उनकी एजेंसियों पर असर पड़ रहा है।
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