मिल्क बार इंचार्ज ने 15 दिन की कलेक्शन अपने पास रखी, शोर मचाया तो स्कैम आया सामने, अपने बचाव को अधिकारियों ने दी शिकायत

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वेरका मिल्क प्लांट की लुधियाना ब्रांच में फिर घोटाला

लुधियाना 19 मई। वेरका मिल्क प्लांट की लुधियाना ब्रांच आए दिन अपने कार्यों को लेकर चर्चा में रहती है। अब एक और ताजा मामला लुधियाना ब्रांच का सामने आया है। चर्चा है कि ब्रांच के इंचार्ज मिल्क बार राजिंद्र कुमार द्वारा 15 दिन की कलेक्शन जमा करवाने की जगह अपने पास ही रख ली। यह पेमेंट करीब 50 लाख रुपए बताई जा रही है। जबकि किसी भी अधिकारी ने इस बारे में आवाज नहीं उठाई। लेकिन जब पेमेंट न जमा हुई तो शोर पड़ गया। जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ। फिर जीएम सुबोध कुमार ने अपनी सेफ साइड़ करने के लिए आन्न फान्न में पुलिस को शिकायत दे दी। चर्चा है कि अगर मामले का खुलासा न होता तो अंदरखाते अधिकारियों द्वारा पूरी पेमेंट हड़प ली जानी थी। यह विवाद लगातार शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं चर्चा है कि जीएम ने अपना बचाव करने के लिए जूनियर अफसर के खिलाफ शिकायत दे दी है। क्योंकि सबसे अहम जिम्मेदारी जीएम की ही बनती है। चर्चा है कि अब इंचार्ज मिल्क बार राजिंद्र कुमार से उच्च अधिकारियों द्वारा इस संबंध गलतीनामा लिखित में भी ले लिया गया है।

इन अफसरों की होती है जिम्मेदारी
जानकारी के अनुसार रोजाना की कलेक्शन कितनी हुई और वे जमा हुई जा नहीं हुई, उसके लिए जीएम से लेकर नीचे सत्र के कई अफसरों की जिम्मेदारी होती है। जिसमें जीएम सुबोध कुमार, ऑडिटर जगदीप सिंह, मार्केटिंग इंचार्ज भारत भूषण, और मिल्क बार इंचार्ज राजिंद्र कुमार की जिम्मेदारी होती है। ऑडिटर का काम होता है, रोज की पेमेंट का ऑडिट देखना। जबकि मार्केटिंग इंचार्ज का काम होता है, रोजाना की कलेक्शन कितनी हुई और उसे जमा कराना। जिसके बाद जीएम की जिम्मेदारी पूरी रिपोर्ट चैक करना होता है। लेकिन इसमें से किसी भी अधिकारी ने जिम्मेदारी नहीं निभाई।

रोजाना जमा करानी होती है पेमेंट, फिर 15 दिन कैसे निकले
चर्चा है कि वेरका मिल्क बार में रोजाना की हुई कलेक्शन को रोज जमा कराना होता है। जिसे मिल्क बार इंचार्ज राजिंद्र कुमार द्वारा जमा कराया जाता है। जबकि ऑडिटर, मार्केटिंग, अकाउंट्स और जीएम द्वारा इसका ध्यान रखना होता है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि 1-2 पेमेंट नहीं जमा हुई तो ठीक है। लेकिन 15 दिन तक पेमेंट न जमा होने के बावजूद किसी भी अधिकारी द्वारा इस पर सवाल क्यों नहीं खड़ा किया गया। आखिर इतने दिन कैसे निकल गए। चर्चा है कि मामले को हाईकमान द्वारा भी दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

सरकार खजाने को लगातार पहुंचाया जा रहा नुकसान
बता दें कि इससे पहले चर्चा छिड़ी थी कि लुधियाना वेरका मिल्क प्लांट में करोड़ों का हेरफेर किया गया है। जिसमें ऑडिटर, अकाउंट्स ब्रांच समेत कई अधिकारियों पर आरोप लगे थे। जबकि फिर खन्ना ब्रांच में भी अधिकारियों के 1.82 करोड़ बारदाना घोटाला करने का मामला सामने आया। अब फिर यह करीब 50 लाख की कलेक्शन न जमा कराने का स्कैम सामने आ चुका है। इन सब को देखकर लगता है कि अधिकारियों द्वारा लगातार सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जिसके चलते सरकार को ध्यान देने की जरुरत है।

डिप्टी जीएम पर भी लग चुके आरोप
वहीं कुछ दिन पहले वेरका के डिस्ट्रीब्यूटरों की और से वेरका लुधियाना ब्रांच के डिप्टी जीएम पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि डिप्टी जीएम द्वारा गलत शब्दावली प्रयोग की जाती है। जिसके चलते उन्होंने डिप्टी जीएम की ट्रांसफर की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन भी किया था। हालांकि डिप्टी जीएम ने सभी आरोपों को गलत बताया था। लेकिन लगातार वेरका के अधिकारियों के आए दिन मामले सामने आने के बाद यह शहर में चर्चा का विषय बन चुका है।

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