भारत का आईएमएफ को कड़ा संदेश, यह पैसा पाक की अर्थव्यवस्था को सुधारने नहीं बल्कि टेरर फंडिंग में उपयोग होगा
191 सदस्यों वाले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड,भारत पाक जंग के हालातो के बीच,इतनी बड़ी लोन राशि को स्वीकार करना कोई साजिश,रणनीति या सिफारिश? -एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ की लगातार सटीक नजरें आज 10 मई 2025 को अर्ली मॉर्निंग तक लगी रही कि किस तरह जम्मू कश्मीर, राजस्थान गुजरात से लेकर पंजाब तक के अनेकों शहरों में 26 से अधिक ड्रोन द्वारा हमला किया गया, जिसमें भारत के ड्रोन रडार सिस्टम द्वारा जांबाज़ी से नाकाम कर दिया गया, हालांकि पाक की आर्थिक स्थिति अति नाजुक है, इसलिए ही ड्रोन की जांच पर वह तुर्की में बना हुआ पाया गया, परंतु ताजुब की बात कि 1989 से लेकर 35 वर्षों में पाक को आईएमएफ से 28 वर्षों तक लगातार फंड मिलाहै,2019 से पिछले 5 वर्षों में आईएमएफ द्वारा 4 बार कर्ज दिया गया है, पाक का विदेशी मुद्रा भंडार 10.33 अरब डॉलर है तो भारत का 686 अरब डॉलर है, इसी से भारत पाक की आर्थिक स्थिति का अंधा जल लगाया जा सकता है। आज हम भारत-पाकिस्तान युद्ध के हालातो के बीच आईएमएफ लोन की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दिनांक 9 व 10 मई 2025 की मध्य रात्रि में आईएमएफ ने फिर एक बार पाक को 2.3 अरब डॉलर यानी करीब 20 हज़ार करोड़ का लोन पारित कर दिया गया है, वह भी भारत पाक जंग के मुहाने पर खड़े पाक की नाजुक आर्थिक हालातो पर जबकि आईएमएफ के 191 सदस्य हैं, तथा इतने बड़े मुद्दे पर वोटिंग भी होती है। परंतु बड़े ताजुब की बात है कि भारत के सख्त विरोध व अनेक एविडेंस देने के बाद भी लोन पारित कर दिया गया,व एक अरब डॉलर को तुरंत जारी कर दिया जाएगा। बता दें असल में आईएमएफ के 25 निदेशक होते हैं, जो दुनियाँ भर के देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं, यहां फैसला ज्यादातर सहमति या कंसेंसेस से किया जाता है लेकिन अगर वोटिंग की बात आती है तो, या तो समर्थन की इजाजत होती है या फिर अब्सेंट की इजाजत ऐसे में अगर विरोध दिखाना है तो एब्सेंट ही रहा जाता है परंतु भारत द्वारा विरोध दर्ज करते हुए एब्सेंट ही रहा परंतु अपने अरगुमेंट में जबरदस्त विरोध कराया परंतु फिर भी लोन पारित किया गया क्योंकि भारत का आईएफ को कड़ा संदेश, यह पैसा पाक की अर्थव्यवस्था को सुधरेगा नहीं बल्कि टेरर फंडिंग में उपयोग होगा फिर भी 191 सदस्यों वाले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड द्वारा भारत पाक जंग के हालातो के बीच इतनी बड़ी लोन राशि को स्वीकार करना कोई साजिश, रणनीति या सिफारिश है,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत पाकिस्तान जंग के हालातो के बीच, 191 देशों के सदस्यों वाले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड द्वारा पाक को 2.3 अरब डॉलर लोन की मंजूरी दी।
साथियों बात अगर हम भारत पाक के जंग जैसे हालातो के बीच आईएमएफ द्वारा पाक के लिए 2.3 अरब डॉलर के लोन को सेंशन करने की करें तो, आईएमएफ ने पाकिस्तान को 2.3 अरब डॉलर (20 हजार करोड़ रुपए) के दो पैकेजों को मंजूरी दे दी है।इस लोन में से 1 अरब डॉलर (8500 करोड़ रुपए) एक्सटेंड फंड फैसेलिटी के तहत तत्काल दिए जाएंगे, जबकि 1.3 अरब डॉलर (11 हजार करोड़ रुपए) का लोन अगले 28 महीने तक किस्तों में दिया जाएगा।
साथियों बात अगर हम आईएमएफ के वोटिंग के आधार और आईडीआर को जानने की करें तो, इधर, जंग के हालात के बीच इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने पाकिस्तान को 2.3 अरब डॉलर (20 हजार करोड़ रुपए) के दो पैकेजों को मंजूरी दे दी है।इस लोन में से 1 अरब डॉलर (8500 करोड़ रुपए) एक्सटेंड फंड फैसेलिटी के तहत तत्काल दिए जाएंगे, जबकि 1.3 अरब डॉलर (11 हजार करोड़ रुपए) का लोन अगले 28 महीने तक किस्तों में दिया जाएगा। आईएमएफ में 191 देश सदस्य हैं। हर देश के पास एक वोट होता है, लेकिन वोट सिर्फ इससे तय नहीं होता है।आईएमएफ में कोटे के आधार पर वोटिंग अधिकार तय होता है। यानी जिसका जितना ज्यादा कोटा होगा,आईएमएफ के फैसलों में उसकी उतनी ज्यादा सुनी जाएगी। किस देश का कोटा कितना होगा ये उस देश की आर्थिक ताकत (जैसे जीडीपी), विदेशी मुद्रा भंडार,व्यापार और आर्थिक स्थिरता पर निर्भर करता है। जैसे अमेरिका का कोटा सबसे ज्यादा 16.5 पेर्सेंट है, इसलिए उसका वोट सबसे ज्यादा मायने रखता है। भारत की वोटिंग पावर 2.75 पेर्सेंट के करीब है। जबकि पाकिस्तान की वोटिंग पावर 0.43 पेर्सेंट के करीब। वोटिंग राइट्स दो आधार पर मिलते हैं,बेसिक वोट्स: हर देश को 250 बेसिक वोट्स मिलते हैं, जो सभी देशों के लिए समान हैं।कोटा-आधारित वोट्स: कोटा के आधार पर एक्स्ट्रा वोट्स मिलते हैं।इसके लिए आईएमएफ की स्पेशल करेंसी एसडीआर खरीदनी पड़ती है। 1 लाख एसडीआर पर 1 वोट मिलता है। बेसिक वोट्स और कोटा-आधारित वोट्स को मिलाकर ही कुल वोट्स मिलते हैं।एसडीआर का पूरा नाम है स्पेशल ड्राइंग राइट्स (विशेष आहरण अधिकार)। ये आईएमएफ का बनाया एक अंतरराष्ट्रीय रिजर्व एसेट है। इसे आईएमएफ की अंतरराष्ट्रीय नकदी’ या ‘ग्लोबल करेंसी यूनिट’ कहा जा सकता है। इसे वित्तीय लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि ये असली करेंसी नहीं है।एसडीआर की कीमत 5 बड़ी अंतरराष्ट्रीय करेंसी पर आधारित होती है (1) अमेरिकी डॉलर (यूएसडी)(2) यूरो (ईयूआर) (3)चीनी युआन (सीएनवाय)(4) जापानी येन (जेपीवाय) (5) ब्रिटिश पाउंड (जीबीपी) आईएमएफ सभी सदस्य देशों को उनके कोटे के हिसाब से एसडीआर अलॉटमेन्ट अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 16.5पेर्सेंट वोटिंग राइट्स हैं। कोई फैसला लेने के लिए 85 पेर्सेंट तक वोट की जरूरत होती है। ऐसे में अगर अमेरिका वोट न करे तो बहुमत न मिलने की स्थिति में कोई फैसला पारित नहीं किया जा सकता है।आईएमएफ में भारत ने आज वोटिंग नहीं की। भारत के विदेश सचिव ने 8 मई को कहा था कि वे पिछले तीन दशकों में आईएम एफ ने पाकिस्तान को कई बड़ी सहायता दी है। उससे चलाए गए कोई भी कार्यक्रम सफल नतीजेतक नहीं पहुंच पाएहैं।आज वोटिंग से पहले भारत ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई। भारत ने कहा कि अगर ऐसे देश को बार-बार मदद दी जाती है जो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है, तो इससे दुनिया को गलत संदेश जाता है।इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को आईएम एफ का फंड मिलने के मामले पर विरोध में वोटिंग नहीं की। बाकी देशों के वोट की मदद से पाक को ये फंड अप्रूव हो गया।
साथियों बात अगर हम भारत द्वारा आईएमएफ में लोन के खिलाफ ऑब्जेक्शन अरगुमेंट की करें तो बैठक में शुक्रवार को भारत ने पाक को दिए जा रहे कर्ज़ को लेकर गंभीर आपत्ति जताई, भारत ने आईएमएफ के एक्सटेंडेड फण्ड फैसिलिटी के तहत पाकिस्तान को दिए जा रहे 1 अरब डॉलर के कर्ज और रेसीलिन्स एंड सुस्ताइंएबिलिटी फैसिलिटी के तहत प्रस्तावित 1.3 अरब डॉलर के नए कर्ज़ पर सवाल उठाए, भारत ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान के कमजोर रिकॉर्ड और कर्ज़ के दुरुपयोग की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, खासकर जब ये पैसे आतंकवाद को बढ़ावा देने में उपयोग हो सकते हैं।भारत ने आईएमएफ को याद दिलाया कि 1989 से लेकर अब तक 35 वर्षों में पाकिस्तान को 28 साल आईएमएफ से वित्तीय मदद मिली है, और पिछले 5 वर्षों में ही चार बेलआउट प्रोग्राम शुरू किए गए हैं,भारत ने कहा कि अगर पूर्ववर्ती प्रोग्राम कारगर होते, तो आज पाकिस्तान को फिर से आईएमएफ के पास आने की ज़रूरत नहीं पड़ती।भारत ने आई ल एमएफ के इवैल्यूएशन रिपोर्ट ऑन प्रोलोंज्ड यूज़ ऑफ़ आईएमएफ रिसोर्सस का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान के मामले में आईएमएफ की निगरानी प्रणाली, कार्यक्रमों की रूपरेखा और उनके कार्यान्वयन की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठते हैं. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान को बार-बार राहत पैकेज देने के पीछे राजनीतिक कारणों की भी व्यापक धारणा रही है,भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सेना की गहरी दखल अंदाजी नीतिगत अस्थिरता और सुधारों के पलटाव की आशंका को बढ़ा देती है, एक 2021 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए भारत ने कहा कि पाकिस्तान की सेना से जुड़ी कंपनियां देश की सबसे बड़ी कारोबारी इकाइयां हैं. हालिया समय में स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल में सेना की भूमिका इस हस्तक्षेप को और पुख्ता करती है,पाकिस्तान फंड का कर रहा दुरुपयोगभारत ने यह आशंका भी जताई कि आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से मिलने वाला फंड ‘फंगिबल’ (अर्थात आसानी से अन्य उद्देश्यों में उपयोग हो सकने वाला) होताहै और इसका उपयोग राज्य प्रायोजित सीमा-पार आतंकवाद के लिए किया जा सकता है, भारत का कहना था कि ऐसे फंड का दुरुपयोग न केवल वैश्विक मूल्यों की अवहेलना है, बल्कि इससे आईएमएफ और अन्य दात्री संस्थाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठता है. अपने कड़े रुख के तहत भारत ने इस मुद्दे पर आईएमएफ की वोटिंग प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया और अन्य सदस्य देशों से भी नैतिक और वैश्विक सुरक्षा के दृष्टिकोण से जिम्मेदार कदम उठाने की अपील की
साथियों बात अगर हम पाक के हालातो की करें तो, पाकिस्तान की कंगाली का हाल भला दुनिया में कौन नहीं जानता। अंतर राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एडीबी से लेकर अपने मित्र देशों से भीख मांगने के लिए वह मशहूर रहा है। लेकिन, इस पैसे का इस्तेमाल उसने अपने विकास के बजाय आतंक की फैक्ट्री चलाने में किया। अब भारत पाकिस्तान की टेरर फंडिंग पर ही स्ट्राइक पर स्ट्राइक कर रहा है। इस स्ट्राइक में वह अब तुरुप के इक्के चलने वाला है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है। इसके तहत सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया है। पाकिस्तान के साथ व्यापार पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। हवाई क्षेत्र भी बंद कर दिया गया है। ये सारे कदम पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाएंगे। हालांकि, अभी सिलसिला रुका नहीं है। अब भारत पाकिस्तान को आईएमएफ से मिलने वाले 1.3 अरब डॉलर के लोन का भी विरोध कर सकता है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने में करने के आसार हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत-पाकिस्तान जंग की हालातो के बीच, 191 सदस्यों वाले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ)की पाक को 2.3 अरब डॉलर (20 हज़ार करोड़) के लोन की मंजूरी।भारत का आईएम एफ को कड़ा संदेश, यह पैसा पाक की अर्थव्यवस्था को सुधारने नहीं बल्कि टेरर फंडिंग में उपयोग होगा।191 सदस्यों वाले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड,भारत पाक जंग के हालातो के बीच,इतनी बड़ी लोन राशि को स्वीकार करना कोई साजिश रणनीति या सिफारिश?
*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र *