भारत नें दुश्मन देश के परमाणु हथियारों को आईएईए की निगरानी में लाने की ओर कदम बढ़ाया 

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बहुत हुआ परमाणु ब्लैकमेल- यूएन डाले नक़ेल -यूएनएससी में भी हो सकता है न्यूक्लियर हथियारों क़े सरेंडर क़ा खेल

 

भारत नें दुश्मन देश के परमाणु हथियारों को आईएईए की निगरानी में लाने की ओर कदम बढ़ाया

 

भारत का आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस का दृढ़ संकल्प-पाक के परमाणु ब्लैकमेल की धमकीसे विचलित नहीं हुआ -अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से निगरानी की मांग उचित-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पिछले कुछ वर्षों से गुटबाजी युद्ध का प्रचलन बढ़ गया है,जिसका सटीक उदाहरण हम रूस-यूक्रेन, इज़राइल-हमास युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से देख रहे हैं कि, दोनों युद्धों में दोनों देशों के पीछे कुछ देशों का गुट खड़ा है, जो अदृश्य होकर उन्हें हथियारों की पूर्ति, प्रोत्साहन व मदद दे रहा है, जिसके कारण दोनों युद्धों के युद्ध विराम की संभावना नहीं दिख रही है, बल्कि परमाणु संपन्न देश परमाणु हथियारों का उपयोग करने की धमकियां भी देते रहते हैं, जिसक़ा अति भयंकर दुष्ट परिणाम हम अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा व नागासाकी शहरों पर गिराए गए परमाणु बमों की श्रृंखला में लक्षण आज तक की पीढ़यों में देखा जा सकता है। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं,क्योंकि हाल ही में भारत- पाक के बीच युद्ध विराम तो हो गया है परंतु इसमें भी न्यूक्लियर वेपंस के उपयोग की काफी धमकियां दी गई थी तल्खीं कहीं दिख रही है,इस तनाव में भी गुटबाजी दिखी,पाक की तरफ से तुर्की ने खूब ड्रोन की मदद की, जिससे भारत पर 300 से 400 ड्रोन की खेप से हमला किया गया। चूँकि पाक की तरफ से अभी भी गोलीबारी शुरू है, व 15 मई 2025 को माननीय रक्षा मंत्री ने सैनिकों के सम्मान में कश्मीर दौरा किया, उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेल की धमकी से भारत विचलित नहीं हुआ।उन्होंने कहा कि दुनियाँ ने देखा है कि पाक नेकितनी गैरजिम्मेदारी से कई बार भारत को परमाणु धमकियां दी हैं। उन्होंने कहा, मैं दुनिया के सामने यह सवाल उठाता हूं: क्या ऐसे गैरजिम्मेदार और दुष्ट देश के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? पाक के परमाणु हथियारों को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निगरानी में लिया जाना चाहिए। इसमें पाक क़े परमाणु बम सरेंडर कराने की भारत द्वारा की जा रही पहल को बल मिला है। बता दें किसी दूसरे मुल्क के परमाणु हथियारोंको मिटाना ये हमारी मिलिट्री डॉक्टराइन का हिस्सा तो नहीं है, लेकिन दुश्मन मुल्क के परमाणु हथियारों को स्क्रूटिनी यानें निगरानी में जरूर ला सकते हैं और इस दिशा में आज पहला कदम उठा लिया गया है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद आज रक्षा मंत्री जम्मू कश्मीर के बादामी बाग कैंट पहुंचे थे, यहां उन्होंने फौज के जवानों का हौसला बढ़ाया उन्हें संबोधित किया। लेकिन इस संबोधन में उन्होंने पाक की परमाणु धमकियों और उससे निपटने के बारे में क्या कहा है वो हमको सुनने और समझने की जरूरत है। पाक के परमाणु हथियारों पर जिस नियंत्रण की बात कर रहे हैं, ये ब्लैकमेल अब उसी दिन थमेगा. जब पाकिस्तान के हाथ से उसके परमाणु बम निकलेंगे, ये होगा कैसे अब उसका पूरा प्रोसेस यानी पूरी प्रक्रिय, इसके तीन रास्ते हो सकते हैं। पहला – आईएईए दूसरा – यूएनएससी और तीसरा, पाकिस्तान के परमाणु बम पर कोई और ताकत कंट्रोल कर ले। चूँकि भारत का आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस का दृढ़ संकल्प है,व भारत ने दुश्मन देश के परमाणु हथियारों को आईएईए की निगरानी में लाने की ओर कदम बढ़ा दिया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, बहुत हुआ परमाणु ब्लैकमेल!यूएन डाले नक़ेल- यूएनएससी में भी हो सकता है न्यूक्लियर हथियारों के सरेंडर का खेल।

साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की करें तो, इसका जिक्र आज रक्षा मंत्री ने भी किया, आईएईए यानी इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी,1957 में गठित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए काम करता है, लेकिन क्या ये संस्था पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की निगरानी कर सकती है, बता दें कि आईएईए दुनियाँ के नौ में से पांच न्यूक्लियर पावर्स के परमाणु हथियारों की निगरानी करती है, लेकिन इस सूची में पाकिस्तान का नाम नहीं है।दरअसल पाक न्यूक्लियर ट्रीटी एनपीटी में शामिल नहीं है, यही वजह है कि आईएईए को पाकिस्तान के नुक्लेअर वेपन्स की निगरानी का अधिकार नहीं है।लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ इसी वजह से पाक के न्यूक्लियर हथियारों पर लगाम नहीं लगाया जा सकता है एक दूसरा रास्ता यूएनएस सी यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से होकर भी गुजरता है।यूएनएस के मंच से भारत पाकिस्तान के न्यूक्लियर ब्लैकमेल का मुद्दा उठा सकता है, इसी के साथ साथ यूएनएस में भारत, पाक के परमाणु हथियारों की निगरानी की मांग भी कर सकता है। पाक के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये की वजह से उसपर सैंक्शयंस भी लगाया जा सकता है,इसके लिए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिशद के 15 सदस्यों में से 9 के वोट चाहिए। लेकिन यहां एक पेंच ये है, अगर यूएनएस के 5 परमानेंट मेंबर्स में से किसी ने भी पाक के पक्ष में वीटो कर दिया तो पाक के परमाणु हथियारों की निगरानी रखना मुश्किल हो जाएगा, यहां चीन पाक के लिए वीटो कर सकता हैलेकिन अगर चीन को भारत ने साध लिया तो पाक के नुक्लेअर वेपन्स पर लगाम लगाई जा सकती है। सीधे सीधे पाक के परमाणु हथियारों की निगरानी थोड़ा मुश्किल है लेकिन ये जरूरी है, क्योंकि उनके परमाणु हथियारों पर किसी और की नजर भी गड़ी है. ताजा सनॉरिओ को देखकर लगता है कि ये नजर तुर्किए की है, तुर्किये ने भारत पाक के इस स्टैंडऑफ में पाकिस्तान का साथ दिया इसके पीछे लोग दो वजह मान रहे हैं, पहला – पाकिस्तान एक इस्लामिक राष्ट्र है और दूसरा- तुर्किए अपने हथियारों को पाकिस्तान में डंप करता है, पाकिस्तान उसके ड्रोन्स खरीदता है,पाक के परमाणु हथियारों पर दोहरा खतरा है, पहला तो तुर्किये से और दूसरा हैं टीटीपी जैसे आतंकी संगठन जो कई बार पाक को परमाणु हथियारों को कब्जाने की धमकी दे चुके हैं, लिहाजा पाकिस्तान के लिए समझादारी वाला ऑप्शन तो ये होगा की वो अपने परमाणु हथियार सरेंडर कर दे, जैसा दुनिया के चार मुल्क कर चुके हैं, सबसे पहले साल 1977 में साउथ अफ्रीका ने अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम बंद कर दिया था,1996 में बेलारूस पूरी तरह से नॉन न्यूक्लियर वेपन वाला देश बन गया था,1999 तक कजाकस्तान भी पूरी तरह से नॉन न्यूक्लियर कंट्री घोषित हो गया था,1996 में यूक्रेन ने भी अपने सारे न्यूक्लियर हथियार रूस को सरेंडर कर दिए थे. जिन्हें बाद में डीई असेंबले कर दिया गया था। पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों पर भी कई लोगों की नजर है, लिहाजा पाकिस्तान के लिए अपने न्यूक्लियर हथियारों को सरेंडर करने में ही भलाई है।

साथियों बात अगर हम इंटरनेशनल एटॉनामिक एजेंसी को समझने की करें तो, इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो न्यूक्लियर एनर्जी के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा देने और न्यूक्लियर (परमाणु) हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए काम करता है, इसकी स्थापना 29 जुलाई 1957 को हुई थी और इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में है।आईएईए संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध है और दुनिया भर के 178 देश इसके सदस्य हैं. इसके इतर रेडिएशन से संबंधित घटनाओं और इमरजेंसी स्थिति से निपटने के लिए आईएईए ने साल 2005 में इंसिडेंट एंड इमरजेंसी सेंटर का गठन किया था।

अतः अगर हम औरत पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बहुत हुआ परमाणु ब्लैकमेल -यूएन डाले नक़ेल- यूएनएससी में भी हो सकता है न्यूक्लियर हथियारों क़े सरेंडर क़ा खेल।भारत नें दुश्मन देश के परमाणु हथियारों को आईएईए की निगरानी में लाने की ओर कदम बढ़ाया।भारत का आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस का दृढ़ संकल्प-पाक के परमाणु ब्लैकमेल की धमकीसे विचलित नहीं हुआ-अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से निगरानी की मांग उचित हैँ

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र *

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