Ludhiana Dec 1 : श्री दंडी स्वामी महाराज जी के शुभ आशीर्वाद से सिद्धपीठ श्री दंडी स्वामी ट्रस्ट, सेवा परिकर और श्री राधा गोविंद संकीर्तन मंडल (सेवक सिद्धपीठ) द्वारा आयोजित 75वां श्री हरिनाम संकीर्तन एवं गौलोकवासी पंडित जगदीश चंद्र कोमल जी महाराज के 25वें वरदान दिवस के पावन उपलक्ष्य में चल रहे 38 दिवसीय महासंकीर्तन के चौबीसवें दिन का आयोजन भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित राज कुमार शर्मा ने की।
आज के दिवस पर दो दिवसीय प्रवचन हेतु औरैया से पधारे श्री अंकुर तिवारी जी महाराज ने भक्तिमय वाणी से सभी श्रोताओं को भाव-विह्वल कर दिया।प्रवचन में श्री अंकुर तिवारी जी महाराज ने बताया कि “जिन्हें भगवान अपनी कृपा से चुन लेते हैं, वही भक्ति का अमृतमय गायन कर पाते हैं। भक्ति का संगीत हर किसी से नहीं होता, यह तो वही गाते हैं जिन पर प्रभु की छाया होती है।”उन्होंने शबरी जी के दिव्य चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि शबरी जी अपने पिछले जन्म में रानी थीं, परंतु राजमहल की मर्यादा के कारण उनके पति उन्हें संतों के संकीर्तन में जाने से रोकते थे। एक दिन प्रयागराज में उन्होंने भगवान से प्रार्थना कर शरीर त्याग दिया और अगला जन्म ऐसी जाति में माँगा जिसमें वे निर्बाध होकर प्रभु का नाम जप सकें।अगले जन्म में उनका जन्म शबर कुल में हुआ। विवाह के समय जब उन्होंने पशु वध की बात सुनी, तो हृदय में दया जागी और उन्होंने संसार छोड़कर भक्ति का मार्ग अपना लिया। जीवन के अंतिम समय में मतंगा ऋषि ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि स्वयं भगवान श्रीराम उनके आश्रम में दर्शन देंगे, और इसी विश्वास में शबरी जी वर्षों तक प्रभु-प्रतीक्षा करती रहीं।श्री अंकुर तिवारी जी महाराज ने भावपूर्ण भजनों —“कर किरपा तेरे गुण गाँवा…”,“मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएंगे…”,“राम राम राम, राधे श्याम श्याम…”आदि का गायन कर श्रोताओं को भक्ति-रस में सराबोर कर दिया।आज भी औरैया से श्री अंकुर तिवारी जी महाराज प्रवचन कर भक्तों के हृदय को भावमय करेंगे।
