बेटी बोझ नहीं, मिसाल है: पंजाब की रामनदीप कौर की कहानी हर लड़की को उड़ान भरने का हौसला देती है

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नवीन गोगना

जालंधर 3 जून। जब इरादे बुलंद हों तो मंज़िल खुद-ब-खुद रास्ता दिखा देती है, इस कहावत को सच कर दिखाया है रमनदीप कौर ने। एक ऐसी बेटी, जिसने पंजाब के एक छोटे से गांव पंडोरी खास से निकलकर न्यूज़ीलैंड पुलिस की वर्दी पहन ली। उनकी ये यात्रा सिर्फ एक करियर की नहीं, बल्कि हौसले, संघर्ष और सफलता की मिसाल बन चुकी है। रामनदीप कौर का जन्म और पालन-पोषण नकोदर तहसील के पंडोरी खास गांव में हुआ। आम भारतीय लड़कियों की तरह उन्होंने भी अपनी पढ़ाई एक सामान्य माहौल में की, लेकिन उनके सपने कुछ अलग थे। उन्होंने जालंधर के सिटी ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूट से बायोटेक्नोलॉजी में डिग्री प्राप्त की।

एक नए देश, नए सपनों की ओर

वर्ष 2014 में, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए न्यूज़ीलैंड का रुख किया। यहां उन्होंने हेल्थकेयर सेक्टर में बिज़नेस की पढ़ाई की और इसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं में काम करना शुरू किया। उनके भीतर लोगों की सेवा करने की भावना हमेशा से थी, जो आगे चलकर उनके सफर को एक नया मोड़ देने वाली थी।

जेल अफसर से पुलिस अफसर बनने तक

रमनदीप ने न्यूज़ीलैंड में सीनियर करेक्शन्स अफसर के तौर पर जेल विभाग में काम किया। यहां उन्होंने अपराधियों के व्यवहार को करीब से समझा और महसूस किया कि अगर अपराध को जन्म लेने से पहले ही रोका जाए, तो समाज में बड़ा बदलाव संभव है। यहीं से उनके दिल में पुलिस सेवा का बीज अंकुरित हुआ।

ट्रेनिंग और वर्दी की शुरुआत

साल 2023 में, उन्होंने वेलिंगटन पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में दाखिला लिया और 7 महीने की कठोर ट्रेनिंग पूरी की। 22 मई 2025 को, उनका सपना साकार हुआ। उन्होंने ऑकलैंड के ऑरमिस्टन पुलिस स्टेशन में बतौर पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी संभाल ली।

मां-बाप का गर्व, बेटियों के लिए मिसाल

रमनदीप के माता-पिता दविंदर सिंह और गुरविंदर कौर आज अपनी बेटी की उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहे हैं। रामनदीप खुद कहती हैं कि उनकी सबसे बड़ी इच्छा यही थी कि वे कुछ ऐसा करें जिससे उनके माता-पिता का नाम रोशन हो।

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