बिन बुलाए बराती बनके आ जाओ तो ‘धक्के’ ही खाने पैंदे : रंधावा

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लुधियाना वैस्ट विस उप चुनाव में कांग्रेस की गुटबाजी, पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ‘इग्नोर’ करने पर भड़के

चंडीगढ़, 5 जून। एक बार फिर पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी लुधियाना वैस्ट हल्के के उप चुनाव में उजागर हो रही है। पार्टी के दिग्गज नेता व पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा खुद को ‘इग्नोर’ किए जाने से भड़के हुए हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में सार्वजनिक तौर पर यहां तक कह डाला कि बिन बुलाए बराती बनके आ जाओ तो ‘धक्के’ ही खाने पैंदे ने। पंजाबी में इसका मर्म समझें तो वह इस उप चुनाव में कांग्रेसी उम्मीदवार भारत भूषण आशु से लेकर पार्टी नेतृत्व तक सबके खिलाफ भड़ास निकाल रहे थे।

लुधियाना वैस्ट उप चुनाव में अपनी गैर-मौजूदगी पर रंधावा ने दोटूक कहा कि ईमानदारी से किसी ने भी मुझसे चुनाव प्रचार में आने को नहीं कहा। बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली कहावत मशहूर है। मुझे क्यों नहीं बुलाया, ये तो सूबे के पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु ही बता सकते हैं। मैंने ही पूर्व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस के मुकाबले आशु को पिछला लोकसभा चुनाव लड़ाने की सिफारिश पार्टी हाईकमान से की थी। फैसला जो भी रहा, मैंने हमेशा हाईकमान का हुक्म माना, मानूंगा, कांग्रेस नहीं मरने देनी। राजस्थान में इंचार्ज बतौर मुझसे दो लोगों को पार्टी ज्वाइन कराने को कहा, उन्होंने अनुशासन भंग किया था, मैंने ज्वाइन कराने से मना कर दिया था। भूतपूर्व पीएम राजीव गांधी के समय के बाद पार्टी में अनुशासन को लेकर डर खत्म हो गया।

उन्होंने कांग्रेस राज में पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और डिप्टी सीएम राजिंदर कौर भट्‌ठल के बीच चली गुटबाजी के मुद्दे पर भी चर्चा की। पार्टी छोड़कर जाने वाले कई कांग्रेसी नेताओं का जिक्र करते हुए रंधावा का दर्द छलका कि मैंने कई लीडरों को समझाया कि मैं सीएम नहीं बना तो मैंने पार्टी नहीं छोड़ी, आप लोग भी पार्टी के साथ रहो। उन्होंने यहां तक खुलकर कहा कि यह हमारी बदकिस्मती है कि लुधियाना में कांग्रेस की गुटबाजी जिस तरह सामने आई है। कांग्रेस हाईकमान को इस मामले में तत्काल एक्शन लेना चाहिए।

रंधावा ने निजी जिंदगी पर भी चर्चा करते हुए कहा कि वह नेताओं की पहचान कुर्ते-पायजामे के अलावा मनपसंद रंग की पेंट-शर्ट के साथ दस्तार बांधते हैं। कालेज के वक्त वाली फीलिंग भी लेनी चाहिए, भले ही बूढ़े हो गए हैं। मेरे पिता मंत्री थे, लेकिन तब भी मैं अपने टीचर्स का बहुत सम्मान करता था। पहले राजनीति में बहुत मर्यादा होती थी, पहले जनसेवा होती थी, हम तो उनके पैरों के बराबर नहीं हैं। किसी पार्टी या नेता का नाम नहीं लूंगा, जो करप्शन की कमाई करते हैं, उनके घर चूल्हे नहीं जलते हैं।

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