गंगा-जमुनी तहज़ीब का त्योहार अवध में आज भी ज़िंदा है परंपरा
जनहितैषी, 13 मई, लखनउ। आज चैत्र माह का बड़ा मंगल है, जिसे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। हर वर्ष की तरह इस बार भी शहर के कोने-कोने में भंडारे, लंगर और शर्बत की सबीलें सजाई गई हैं। खास बात यह है कि यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल भी पेश करता है। यही वजह है कि राज्य सरकार ने आज पूरे उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है।
बड़ा मंगल मुख्यतः हनुमान जी को समर्पित होता है और चैत्र माह के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है लेकिन बड़ा मंगल विशेष रूप से पहले मंगलवार को अत्यधिक महत्त्व रखता है। लखनऊ के मंदिरों — जैसे अलीगंज हनुमान मंदिर, नीलकंठ मंदिर, और मनकामेश्वर मंदिर में आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं।
इस पर्व की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में नवाबी दौर की झलक मिलती है। अवध के नवाबों ने इस पर्व को सांप्रदायिक सौहार्द और साझा संस्कृति के प्रतीक के रूप में देखा। नवाब आसफ़उद्दौला से लेकर वाजिद अली शाह तक, सभी ने बड़े मंगल पर लंगर और शर्बत की सबीलें लगवाईं, जिसमें हिंदू-मुस्लिम सभी समुदायों के लोग मिलकर हिस्सा लेते थे। यह सिलसिला आज भी ज्यों का त्यों जारी है।
आज लखनऊ की सड़कों पर हर कुछ कदम पर भंडारे लगे हुए हैं। कहीं पूरी-सब्ज़ी और हलवा वितरित हो रहा है, तो कहीं ठंडा शर्बत और फल। विशेष बात यह है कि इन भंडारों के आयोजकों में सभी धर्मों के लोग शामिल हैं। कई मुस्लिम युवकों को भी आज भंडारा करते और श्रद्धालुओं की सेवा करते देखा गया। यही वह साझा संस्कृति है जिसने लखनऊ को गंगा-जमुनी तहज़ीब का केंद्र बनाया है।
बड़ा मंगल सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सामूहिकता सेवा और एकता का प्रतीक है। यह वह अवसर है जब लखनऊ अपने मूल स्वभाव सौहार्द, सहयोग और परस्पर सम्मान को पूरी तरह जीता है।
शाम को जगह-जगह भजन कीर्तन सुंदरकांड पाठ और हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ भी होंगे। प्रशासन ने यातायात और सुरक्षा के लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं। नगर निगम और पुलिस बल पूरे दिन मुस्तैद रहेगा।




