पार्ट-1: लुधियाना कारपोरेशन कमीशन घोटाले में निगम कमिश्नर डेचलवाल निकलने एसई संजय कंवर के बड़े साहब

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SE का खुलासा: निगम कमिश्नर के कहने पर मांगी थी रिश्वत, एक प्रतिशत मिलना था हिस्सा, बड़े साहब के नाम से मिलती है ज्यादा रिश्वत
लुधियाना 3 जून। नगर निगम लुधियाना के एसई संजय कंवर को रोज गार्डन के नवीनीकरण को लेकर जारी किए टेंडर में 10 प्रतिशत कमीशन मांगने के आरोप में विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अब कई हैरानीजनक खुलासे हुए हैं। एसई संजय कंवर की पूछताछ में उसने अपने बड़े साहब का नाम भी उगल दिया है। एसआई द्वारा विजिलेंस पूछताछ में दावा किया है कि उसके बड़े साहब नगर निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल है। उसने माना कि जिस बड़े साहब का वे रिकॉर्डिंग में नाम ले रहा है, वे निगम कमिश्नर ही है। उसने निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल के कहने पर ही ठेकेदार हितेश अग्रवाल से करीब 90 लाख रुपए रिश्वत मांगने के लिए कहा गया था। जबकि उसने यह भी दावा किया है कि बड़े साहब (निगम कमिश्नर) के नाम पर ही ज्यादा रिश्वत मिलती है। जबकि एक आईएएस अधिकारी का नाम लेना बहुत बड़ी बात है। हैरानी की बात तो यह है कि पूछताछ में निगम कमिश्नर के नाम सामने आने के बावजूद अभी तक विजिलेंस द्वारा उन्हें पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया। वहीं चर्चा है कि मान सरकार आईएएस लॉबी को हाथ डालने से कतरा तो नहीं रही। वहीं बता दें कि यूटर्न टाइम अखबार द्वारा लगातार एसई संजय कंवर के कमीशन खेल में सबसे पहले और बड़े खुलासे किए थे। अब एसई से हुई पूछताछ के मामले का भी यूटर्न अखबार द्वारा सबसे पहले खुलासा किया गया है।

एसई को मिलना था एक प्रतिशत हिस्सा
वहीं एसई संजय कंवर ने बताया कि उसे इस रिश्वत की पेमेंट में से एक प्रतिशत करीब आठ लाख रुपए मिलने थे। जबकि बाकी का हिस्सा निगम कमिश्नर व अन्य अधिकारियों का था। वहीं बता दें कि यूटर्न टाइम अखबार द्वारा एक मई को खुलासा किया गया था कि किस तरीके से निगम में कमीशन की बंदर बांट होती है। जिसमें 2 प्रतिशत जेई, दो प्रतिशत एसडीओ, 2 प्रतिशत, एक्सियन, एक प्रतिशत एसई, एक प्रतिशत कमिशनर, आधा प्रतिशत एडिशनल कमिश्नर, 2 प्रतिशत राजनेता और दो प्रतिशत ऑडिट डिपार्टमेंट को कमीशन मिलती है। जब-जब फाइल जिस अधिकारी के पास जाएगी, उसे कैश के तौर पर कमीशन मिलती जाएगी।

क्या पहले तैनात रहे अधिकारियों को भी मिलता था हिस्सा
वहीं चर्चा है कि पहले चोर द्वारा हमेशा छोटी चोरी की जाती है। जिसके बाद बड़ा हाथ डाला जाता है। ऐसे में अगर पिछला ट्रैक देखा जाए तो आशंका है कि पहले तैनात रह चुके कई अधिकारी भी इस कमीशन के खेल में शामिल हो सकते हैं। चर्चा है कि पहले रहे अधिकारियों द्वारा भी टेंडरों की आड़ में बड़ा खेल किया गया है। अब देखना होगा कि क्या विजिलेंस उन अधिकारियों के नाम का भी खुलासा कर पाएगी या नहीं।

निगम कमिश्नर को मिली थी इनोवा हाइब्रिड गिफ्ट
वहीं चर्चा है कि नगर निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल को ही गिफ्ट में इनोवा हाइब्रिड लग्जरी कार मिली थी। जबकि इसके अलावा भी कई इनोवा गाड़ियां गिफ्ट दी गई हैं, जो कि दूसरे अधिकारियों के पास गई है। लेकिन अभी तक विजिलेंस इस बात से पर्दा नहीं उठा सकी है। देखना होगा कि क्या विजिलेंस गिफ्ट दी गई सभी इनोवा हाइब्रिड गाड़ियां बरामद कर सकेगी या नहीं।

बाकी ठेकेदारों से भी कमिश्नर की तरफ से लेता था कमीशन
एसई संजय कंवर से हुई पूछताछ में उसने कई राज उगले हैं। जिसमें कहा कि रोज गार्डन नवीनीकरण प्रोजेक्ट को कई अधिकारियों की परमीशन मिलने पर टेंडर अलॉट हुआ और फिर फाइल एसई के पास पहुंची। एसई ने माना कि उसने ठेकेदार हितेश अग्रवाल से कमीशन मांगी थी। उसने कहा कि टेंडर की कमीशन उसने सीधे निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल को ही देनी थी। संजय कंवर ने माना कि अगर वे अपने नाम से सीधे कमीशन मांगता तो इतनी बड़ी रकम नहीं मिलती। जिसके चलते उसने सीधा निगम कमिश्नर का नााम लिया। जबकि वे बाकी ठेकेदारों से भी निगम कमिश्नर की तरफ से ही कमीशन के रुप में रिश्वत लेता था।

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