नशा समाज को खोखला कर देता है और राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़ी बाधा है।

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नशा मुक्त भारत@2047-एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स और एनसीओआरडी की भूमिका-एक अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

 

“नशा समाज को खोखला कर देता है और राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़ी बाधा है।”

 

ड्रग्स की समस्या केवल एक विभाग या एजेंसी की जिम्मेदारी नहींहै,बल्कि पूरे समाज,सरकार और नागरिकों का सामूहिक दायित्व,होल ऑफ़ द गवर्नमेंट एप्रोच है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया – भारत एक ऐसे युग से गुजर रहा है जहां विकास आधुनिकता और वैश्वीकरण की चुनौतियाँ समानांतर रूप से सामने खड़ी हैं। इनमें सबसे खतरनाक और जटिल समस्या मादक पदार्थों (ड्रग्स) की है। यह समस्या केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनियाँ के लिए एक गंभीरसंकट है। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूंकि,ड्रग्स का अवैध कारोबार और उसका सेवन समाज की जड़ों को खोखला करता है, युवाओं की ऊर्जा को नष्ट करता है और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी गहरा असर डालता है। इसी पृष्ठभूमि में भारत ने “नशा मुक्त भारत@2047” का लक्ष्य तय किया है, जो आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने तक एक ऐसे भारत की परिकल्पना करता है जहाँ मादक पदार्थों का अवैध कारोबार और सेवन पूरी तरह समाप्त हो सके। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटी एफ), एनसीओआरडी (नेशनल कोऑर्डिनेशन सेंटर for नकॉर्ड मैकेनिज्म)और नार्कोटिक्स कंट्रोलब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।ड्रग्स की समस्या केवल सामाजिक या स्वास्थ्य संबंधी नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी गहराई से जुड़ी है। ड्रग्स का पैसा आतंकी संगठनों और संगठित अपराध के लिए फंडिंग का प्रमुख स्रोत है। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के लिए यह खतरा और भी गंभीर है क्योंकि इसके पड़ोसी देशों में ड्रग्स उत्पादन और तस्करी का नेटवर्क सक्रिय है। “गोल्डन ट्राएंगल” और “गोल्डन क्रिसेंट” क्षेत्र से भारत में ड्रग्स की तस्करी लंबे समय से होती रही है।इसीलिए भारत की एंटी नार्कोटिक्स नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं,क्योंकि आगामी 16-17 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में एकऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इसमें भारत के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) प्रमुख,अन्य सरकारी विभागों के हितधारक तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल होंगे। यह सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नशा मुक्त भारत @ 2047 के विज़न को ठोस आधार प्रदान करेगा और आने वाले वर्षों के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार करेगा।भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन स्थापित एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटी एफ)को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मादक पदार्थों के खिलाफ एक संयुक्त तंत्र के रूप में गठित किया गया है।यह तंत्र आपूर्ति कम करने, मांग को नियंत्रित करने और नुकसान कम करने की नीति पर एक साथ काम करता है। एएनटीएफ का उद्देश्य केवल कानून प्रवर्तन तक सीमित नहीं है बल्कि समाज में जागरूकता, शिक्षा और पुनर्वास को भी समान प्राथमिकता देना है। भारत के पीएम ने कई मौकों पर कहा है कि “नशा समाज को खोखला कर देता है और राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़ी बाधा है।”इसी सोच को मूर्त रूप देने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री की अगुवाई में लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।

साथियों बात अगर हम सम्मेलन का विषय: संयुक्त संकल्प, साझा जिम्मेदारी की करें तो इस द्वितीय राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय “संयुक्त संकल्प, साझा जिम्मेदारी” रखा गया है। यह विषय अपने आप में मादक पदार्थों की समस्या के समाधान का मूल मंत्र है। ड्रग्स की समस्या केवल एक विभाग या एजेंसी की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि पूरे समाज, सरकार और नागरिकों का सामूहिक दायित्व है। आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ने के लिए पुलिस,सीमा सुरक्षा बल, तटरक्षक बल और कस्टम विभाग को मिलकर काम करना होगा। मांग कम करने के लिए शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संगठन अहम भूमिका निभाएँगे। नुकसान कम करने के लिए पुनर्वास केंद्र, मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक सक्रिय योगदान देंगे। इस प्रकार यह समस्या एक बहुआयामी दृष्टिकोण की मांग करती है जिसे केवल साझा जिम्मेदारी के सिद्धांत से ही सफल बनाया जा सकता है।

साथियों बात अगर हम,2 दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में तकनीकी सत्र:आठ विशेष विमर्श की करें तो भविष्य का रोडमैप और नीति निर्धारण- 2047 तक नशा मुक्त भारत का विज़न पूरा करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति पर मंथन होगा।ये आठ सत्र न केवल समस्या की गहराई को समझने का अवसर देंगे बल्कि समाधान की दिशा में ठोस कदम भी सुझाएँगे। (1)सम्मेलन के दौरान आठ तकनीकी सत्र (टेक्निकल सेशयंस)आयोजित किए जाएंगे। इनका उद्देश्य विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा और रणनीति बनाना है।(2)ड्रग्स आपूर्ति श्रृंखला की रोकथाम-इसमें अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क, सीमा पार तस्करी, डार्कनेट और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से होने वाले कारोबार को रोकने की रणनीतियों पर चर्चा होगी। (3)ड्रग्स की मांग कम करने की रणनीति -शिक्षा, जागरूकता, युवाओं को खेल और रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने पर विचार किया जाएगा (4)नुकसान कम करने के उपाय-नशा करने वालों के पुनर्वास, स्वास्थ्य सेवाओं और मानसिक उपचार की दिशा में कदमों पर चर्चा होगी। (5) राष्ट्रीय सुरक्षा और ड्रग्स का संबंध-ड्रग्स से होने वाली आतंकी फंडिंग, संगठित अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग के मुद्दों को संबोधित किया जाएगा। (6)कानून प्रवर्तन को सशक्त बनाना- पुलिस, एनसीबी और अन्य एजेंसियों के बीच समन्वय और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर विमर्श होगा। (7) ड्रग्स और साइबर अपराध-डार्क वेब, सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग रोकने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों पर चर्चा होगी। (8) अंतरराष्ट्रीय सहयोग- पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग, सूचना साझा करने और संयुक्त अभियानों पर विचार होगा।इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की वार्षिक रिपोर्ट-2024 जारी करेंगे। इस रिपोर्ट में बीते वर्ष में ड्रग्स की जब्ती, गिरफ़्तारियाँ, अवैध नेटवर्क का खुलासा और निवारक कदमों का विस्तृत विवरण होगा। साथ ही, श्री शाह ऑनलाइन ड्रग विनष्टीकरण अभियान (ड्रग डिस्पोजल कैंपेन) की शुरुआत करेंगे। यह अभियान एक अनोखी पहल होगी जिसमें जब्त किए गए मादक पदार्थों का निपटान पारदर्शी और तकनीकी रूप से सुरक्षित तरीके से किया जाएगा।

साथियों बात अगर हम,आपूर्ति, मांग और नुकसान कम करने की रणनीति तथा होल ऑफ द गवर्नमेंट अप्रोच की करें तोमादक पदार्थों की समस्या को तीन स्तरों पर समझा जाता है-(1)आपूर्ति कम करना-यानी ड्रग्स की तस्करी, उत्पादन और वितरण पर नियंत्रण।(2)मांग कम करना-यानी समाज में नशे की लत को रोकना और जागरूकता फैलाना(3) नुकसान कम करना-यानी नशे के शिकार लोगों का इलाज और पुनर्वास।

भारत ने इन तीनों स्तरों पर रणनीतियाँ अपनाई हैं। सीमा पार निगरानी बढ़ाना, ड्रोन और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल, कस्टम और पुलिस को मजबूत करना आपूर्ति रोकने की दिशा में अहम कदम हैं। मांग कम करने के लिए युवाओं में खेलकूद, योग, सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं नुकसान कम करने के लिए पुनर्वास केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाया जा रहा है। होल ऑफ द गवर्नमेंट अप्रोच-इस समस्या से निपटने के लिए केवल गृह मंत्रालय या एनसीबी पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। इसके लिए एक होल ऑफ़ द गवर्नमेंट एप्रोच की आवश्यकता है। यानी केंद्र और राज्य सरकारों के सभी विभाग-शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, सामाजिक न्याय, सूचना प्रौद्योगिकी, वित्त और विदेश मंत्रालय-सभी को मिलकर काम करना होगा। इसके साथ ही गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओस) , नागरिक समाज और मीडिया की भी अहम भूमिका होगी। तभी यह लड़ाई व्यापक और सफल हो सकेगी।

साथियों बात अगर हम पहले सम्मेलन (अप्रैल 2023) और उसकी उपलब्धियों व राष्ट्रीय सुरक्षा और मादक पदार्थ को समझने की करें तो,अप्रैल 2023 में पहली बार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एएनटी एफ प्रमुखों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ था।उस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे, जिनमें प्रमुख थे,(1) सभी राज्यों में विशेष एंटी-नार्कोटिक्स टास्क फोर्स यूनिट का गठन। (2)ड्रग्स जब्ती और तस्करी से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए राष्ट्रीय डेटा बैंक की स्थापना। (3)सीमा पार से होने वाली तस्करी पर रोक के लिए सीमा सुरक्षा बलों और एनसीबी के संयुक्त अभियान। (4)युवाओं और छात्रों में जागरूकता के लिए स्कूल-विश्वविद्यालय आधारित अभियान। (5)जब्त मादक पदार्थों का समयबद्ध निपटान।इनमें से लगभग 70-75 प्रतिशत निर्णयों का प्रभावी क्रियान्वयन राज्यों द्वारा किया गया है। उदाहरण के लिए, कई राज्यों में विशेष एएनटीएफ, इकाइयाँ बन चुकी हैं, बड़े पैमाने पर ड्रग्स की जब्ती हुई है, और राष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स कीसूचनाओं का आदान-प्रदान अधिक प्रभावी हुआ है। हालांकि अभी भी कुछ क्षेत्रों जैसे सीमा पार तस्करी और ऑनलाइन ड्रग्स कारोबार में चुनौतियाँ बाकी हैं, जिन्हें इस दूसरे सम्मेलन में प्राथमिकता दी जाएगी।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे किभारत ने 2047 तक नशा मुक्त भारत का जो लक्ष्य तय किया है, वह कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं। इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, संस्थागत समन्वय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सामाजिक जागरूकता-इन सभी की समान आवश्यकता है।एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स और एनसी ओआरडी इस दिशा में एक मजबूत आधार तैयार कर चुके हैं। अब आवश्यकता है कि आगामी 16-17 सितंबर 2025 का सम्मेलन इस लड़ाई को नई गति और दिशा दे।यदि भारत “संयुक्त संकल्प और साझा जिम्मेदारी” के सिद्धांत पर आगे बढ़े, तो निश्चित ही 2047 तक एक नशा मुक्त भारत का सपना साकार हो सकता है। यह न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा का संदेश होगा।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *

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