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दाऊद की हत्या की साजिश और कई चौंकाने वाले खुलासे करती आईपीएस अफसर की पुस्तक “शैकल द स्टार्म

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पवन वर्मा

अपने पत्रकारिता जीवन के आरंभिक दौर में क्राइम रिपोर्टर के रूप में काम करते हुए मैंने अनेक बार महसूस किया कि अपराध की दुनिया में बहुत कुछ ऐसा होता है जो आधिकारिक रुप से सामने नहीं आता लेकिन यह छुपा हुआ सच बेहद रोमांचक होता है। पर्दे के पीछे के ऐसे अनेक किस्से जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की हत्या की कितनी बार साजिश हुई। कब दाऊद को किस्मत का साथ मिला, कहां कहां दाऊद की हत्या का प्रयास हुआ, गैंगस्टर विक्की मल्होत्रा की असली पहचान क्या है,माओवादी नेताओं का एनकाउंटर और ऐसे ही अंडरवर्ल्ड,नक्सलवाद और अपराध की दुनिया से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे करती है, मध्य प्रदेश के आईपीएस एवं रिटायर्ड विशेष पुलिस महानिदेशक शैलेंद्र श्रीवास्तव की ताजातरीन अंग्रेजी पुस्तक ‘शेकल द स्टॉर्म ’ । डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव 1986 बैच के आईपीएस अफसर हैं। वे मध्य प्रदेश के कई जिलों में पुलिस अधीक्षक रहे। वे इंदौर और भोपाल के पुलिस महानिरीक्षक ( आईजी) रह चुके हैं। वे परिवहन आयुक्त और स्पेशल डीजी पुलिस हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के पद से रिटायर हुए। अविभाजित मध्यप्रदेश के राजनांदगांव एसपी के रूप में, उन्होंने 1994 में एक शीर्ष माओवादी नेता को गिरफ्तार किया था। उनकी पुस्तक में सत्य घटनाओं पर आधारित चौदह जीवंत किस्से हैं। ये सभी किस्से डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव के अपनी शासकीय नौकरी के दौरान खतरनाक बदमाशों, उग्रवादियों, अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधियों और उनके केस की जांच के दौरान सामने आए थे। जिसे उन्होंने बहुत ही प्रभावी और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया है।
*रोमांचक किस्से दाऊद के*
इस पुस्तक में दाऊद इब्राहिम की बेटी की शादी के जोड़े और 2005 में इंदौर के एक बिजनेसमैन के बेटे के अपहरण के बीच का कनेक्शन भी बताया गया है। दाऊद की बेटी की शादी के लिए गाउन मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के एक दर्जी इस्माइल खान ने तैयार किया था। दाऊद की बेटी माहरूख की शादी 2005 में मक्का में मशहूर क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे से हुई थी। शादी के एक महीने बाद ही इंदौर से सीमेंट कारोबारी के बेटे नितेश नागोरी का अपहरण हुआ था। इस मामले में दाऊद की बेटी के लिए गाउन तैयार करने वाला इस्माइल मुख्य आरोपी था।
*गैंगस्टर विक्की मल्होत्रा असल में विजय यादव*
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के विजय कुमार यादव के रूप में कुख्यात गैंगस्टर विक्की मल्होत्रा की असली पहचान का खुलासा इस किताब में किया गया है। उसके एक छोटे चोर से छोटा राजन के गिरोह में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बनने तक के अपने सफर के बारे में बताया। साथ ही अपनी आपराधिक गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की, जिसमें कराची में अपनी बेटी को दफनाने के दौरान दाऊद को निशाना बनाने की एक असफल योजना सहित दाऊद के खिलाफ अन्य साजिशों में उसकी भूमिका भी शामिल है।

*माओवादियों से मुठभेड़*
पुस्तक में इतनी ही प्रभावशाली कहानी भारत के माओवादी विद्रोह की पृष्ठभूमि पर आधारित है। जिसमे माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में पुलिसिंग की जटिल और खतरनाक परिस्थितियों का चित्रण है। डॉ. श्रीवास्तव का व्यक्तिगत अनुभव इस कथा को प्रामाणिकता प्रदान करता है, जो इस संघर्ष के दौरान की जाने वाली सामरिक चालों, घातों और मानसिक युद्ध को सजीव करता है।
*कहानी मानव बलि की*
पुस्तक में और भी कई रोमांचक मुठभेड़ें शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में अद्वितीय सस्पेंस और रोचकता है। चाहे वह एक हाई-प्रोफाइल हत्या मामले की जांच हो या अपहरण और मानव बलि की घटना हो, डॉ. श्रीवास्तव की कहानियां पाठकों को बांधे रखती हैं। प्रत्येक कहानी में अप्रत्याशित मोड़ और घुमाव इसे पढ़ने के लिए विवश करते हैं।

“शेकल द स्टॉर्म”की सबसे खास बात यह है कि डॉ. श्रीवास्तव ने वास्तविक जीवन के अनुभवों को प्रभावी रुप से कथा में बदला है। उनकी कहानियां केवल अपराधों के बारे में नहीं हैं, बल्कि उन लोगों के बारे में भी हैं जो अपराधी हैं या कानून लागू करने वाले है। जो इन अपराध की खतरनाक दुनिया में नेविगेट करते हैं। ये कथाएं पुलिस अधिकारियों के साहस, बुद्धिमानी और समर्पण को भी उजागर करती हैं, जब वे खतरों का सामना करते हैं, जबकि आमतौर पर पुलिसकर्मियों की छवि इसके एकदम विपरीत है।
डॉ. श्रीवास्तव की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, और प्रत्येक कहानी उनके कानून प्रवर्तन पृष्ठभूमि की प्रामाणिकता में डूबी हुई है। पुस्तक की भूमिका पाठकों को लेखक की प्रेरणाओं और उस वास्तविक जीवन के अनुभवों की झलक देती है, जिन्होंने इन कहानियों को आकार दिया। उनके सावधानीपूर्वक कथानक, विशेष रूप से वास्तविक घटनाओं की प्रामाणिकता और गोपनीयता के बीच संतुलन, इस पुस्तक को एक रोमांचक और उन लोगों के लिए एक आदरांजलि बनाता है, जिनके जीवन कानून के साथ जुड़े हुए हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि, जबकि इन कहानियों में घटनाएं और परिस्थितियां वास्तविक जीवन के अनुभवों पर आधारित हैं, नाम, स्थान और विशिष्ट पहचान विवरणों को नैतिक मानकों को बनाए रखने और पहचान की सुरक्षा के लिए बदल दिया गया है। हालांकि, जांच करने वाले अधिकारियों के अमूल्य योगदान को सम्मानित करने के लिए, उनके वास्तविक नाम अपरिवर्तित रखे गए हैं, जो न्याय की खोज में उनकी अमूल्य भूमिका को उजागर करता है।
कुल मिलाकर, “शेकल द स्टॉर्म”केवल अपराध कहानियों का संग्रह नहीं है , यह मानवीय भावना की दृढ़ता और अच्छे और बुरे के बीच शाश्वत संघर्ष को समर्पित एक शक्तिशाली श्रद्धांजलि है। अपराध कथा, कानून प्रवर्तन या साहस और धैर्य की कहानियों में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए। डॉ. श्रीवास्तव ने अपने समृद्ध अनुभव और कहानी कहने की कला को मिलाकर एक ऐसा लेखन प्रस्तुत किया है, जो पाठकों को अंत तक बांधे रखेगा।(विनायक फीचर्स)

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