टाईक के जरिए बच्चों के खिलौनों की दुनिया में एवन साइकिल्स का रोमांचक प्रवेश

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लुधियाना, 27 मई। भारत में खिलौनों का आविष्कार लगभग 8,000 वर्ष पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता में हुआ था। उन शुरुआती दिनों में खिलौने प्राकृतिक सामग्रियों जैसे बांस की छड़ियों, घास, मिट्टी-रेशेदार कपड़े से बनते थे। आज प्रगतिशील प्रौद्योगिकियां और डिजाइन संबंधी सोच के तहत भारत खिलौना निर्माण में अपनी विरासत प्राप्त करने की तैयारी में है। ‘वोकल फॉर लोकल’ आंदोलन के चलते भारत अगले दशक में खिलौनों का वैश्विक केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।

इस दृष्टिकोण को और करीब लाने का काम एवन साइकिल्स द्वारा लांच बच्चों के खिलौनों का ब्रांड टाईक कर रहा है। यह एक ऐसा नाम है, जिस पर 70 वर्षों से अधिक समय से भरोसा किया जा रहा है। टाईक बच्चों के खिलौनों की दुनिया में कंपनी का रोमांचक प्रवेश है। एवन साइकिल्स के सीएमडी ओंकार सिंह पाहवा ने कहा, भारतीय बच्चों के खिलौनों का बाजार अगले कुछ वर्षों में काफी बढ़ने की उम्मीद है। टाईक इस क्षेत्र में हमारा पहला कदम है, जिसमें एवन साइकिल्स की विरासत पर आधारित गुणवत्ता और अभिनव डिजाइन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वर्तमान टाईक रेंज में ट्राइसाइकिल और एक-पैर वाले पुश स्कूटर शामिल हैं। जिन्हें सुरक्षित, आनंदमय और पर्यावरण के प्रति जागरुकता के तहत गैर-विषाक्त सामग्री और रिसाइकिल प्लास्टिक का उपयोग कर डिजाइन किया है। जल्द ही और खिलौने इस संग्रह में शामिल होंगे।

एवन साइकिल्स के एमडी ऋषि पाहवा कहते हैं कि आज तकनीक हमें ऐसे खिलौने बनाने की अनुमति देती है। जो मज़ेदार होने के साथ पर्यावरण के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी के अनुरूप भी है। मजबूत ट्राइसाइकिलों से लेकर हल्के वजन वाले पुश स्कूटर तक इसमें शामिल हैं। एवन साइकिल्स के संयुक्त एमडी श्री मंदीप पाहवा के मुताबिक कम उम्र से ही स्वस्थ आदतें विकसित करने में आउटडोर गतिविधियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। टाइक के साथ, हमारा लक्ष्य सोच-समझकर डिज़ाइन किए गए, पर्यावरण-अनुकूल खिलौनों के माध्यम से इसका समर्थन करना है, जो छोटे बच्चों की ऊर्जा-कल्पना से मेल खाते हैं।

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