गुस्ताख़ी माफ़

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

गुस्ताख़ी माफ़ 1.7.2025

 

समझौता यह गुप्त है, यही सियासी तर्ज़।

बदलाख़ोरी में नहीं, पर्चे होंगे दर्ज़।

पर्चे होंगे दर्ज़, एक-से हम सब चंगे।

अपना एक हमाम, जहां हैं हम सब नंगे।

कह साहिल कविराय, नियम है यह इकलौता।

ख़ुद भी फंसता कभी, तोड़ता जो समझौता।

 

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

Leave a Comment