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गुस्ताख़ी माफ़ 1.7.2025
समझौता यह गुप्त है, यही सियासी तर्ज़।
बदलाख़ोरी में नहीं, पर्चे होंगे दर्ज़।
पर्चे होंगे दर्ज़, एक-से हम सब चंगे।
अपना एक हमाम, जहां हैं हम सब नंगे।
कह साहिल कविराय, नियम है यह इकलौता।
ख़ुद भी फंसता कभी, तोड़ता जो समझौता।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल