रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 26 नवंबर को लोन सिस्टम को और मज़बूत बनाने के लिए नई ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की हैं। ये नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे। इन गाइडलाइंस का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब क्रेडिट स्कोर अपडेट होने के लिए लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
अब सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों (CICS) को हर 7 दिन में क्रेडिट स्कोर अपडेट करना होगा, जबकि अभी यह अपडेट 15 दिन में होता है। इसके अलावा क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियोंको हर महीने 7, 14, 21 और 28 तारीख को और महीने के आखिरी दिन तक का डेटा भी अपडेट रखना होगा। बैंक हर महीने की 3 तारीख तक अपना डेटा भेजेंगे, ताकि स्कोर में कोई देरी न हो।इन बदलावों से आम ग्राहकों को चार बड़े फायदे मिलेंगे। पहला, बैंक को लोन या क्रेडिट कार्ड क्लोज़र की जानकारी उसी दिन सिबिल को देनी होगी, जिससे पहले जैसी लंबी देरी नहीं होगी और नए लोन लेने में परेशानी कम होगी।
दूसरा, बैंक और NBFC अब आपकी परमिशन के बिना आपकी क्रेडिट रिपोर्ट एक्सेस नहीं कर पाएंगे, जिससे अनावश्यक स्कोर गिरने की समस्या खत्म होगी। तीसरा, गलत रिपोर्टिंग या सुधार में देरी होने पर भारी जुर्माना लगेगा। इससे बैंक डेटा को ज्यादा सटीक और अपडेटेड रखेंगे और ग्राहकों का स्कोर भी तेजी से सुधरेगा।
चौथा, बैंकों को ताज़ा क्रेडिट रिपोर्ट मिलेगी, जिससे वे ब्याज दर, लोन अमाउंट और टेन्योर सही तरीके से तय कर पाएंगे। क्रेडिट स्कोर असल में आपकी लोन हिस्ट्री, क्रेडिट कार्ड यूज़, पेमेंट टाइमिंग और बैंक इंक्वायरी जैसे फैक्टर्स पर आधारित होता है। भारत में क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी इस स्कोर को 300 से 900 के बीच तय करती हैं। 700 से ऊपर का स्कोर बहुत अच्छा माना जाता है और लोन अप्रूवल में आसानी होती है।
