आप के राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह क्रिकेट से लेकर सियासत तक के सफर पर बेबाक बातचीत करते हुए

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आप के स्टार कंपेनर हरभजन सिंह बोले, खेलों की तरह राजनीति में ‘टीम-वर्क’ जरुरी

लुधियाना, 10 जून। महानगर में लुधियाना वैस्ट से उप चुनाव लड़ रहे आप उम्मीदवार संजीव अरोड़ा के हक में प्रचार करने स्टार कंपेनर हरभजन सिंह पहुंचे। क्रिकेट-जगत में शानदार स्पिनर रहे ‘भज्जी-पाजी’ आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं। राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के हक में प्रचार के दौरान बेहद बिजी शैड्यूल के बीच उन्होंने अपने ‘क्रिकेट से लेकर सियासी सफर’ पर ‘यूटर्न टाइम’ के संपादक संदीप शर्मा से खास बातचीत की। उन्होंने ‘धर्म-संकट’ में डालने वाले कई सवालों के जवाब मंझे-राजनेताओं की तरह बेबाकी से दिए।

–एमपी अरोड़ा के कंपेन में आप आए, उनमें क्या खासियत नजर आई ?

–(जज्बाती-लहजे में) संजीव ‘पाजी’ और मैं बेशक एक साथ राज्यसभा में गए थे, लेकिन उनको वहां के तौर-तरीकों की बेहतर समझ थीं। वहीं मुलाकात के दौरान उन्होंने मेरी मदद की। तभी से प्यार बना है, वैसे भी मेरे कलीग हैं तो लिहाजा सारी पार्टी का ही फर्ज है कि चुनाव में उनकी मदद करें। फिर बेबाकी से बोले कि बेशक मैं भी राज्यसभा सांसद हूं, लेकिन उन्होंने मेरे से बहुत ज्यादा काम कराए हैं।

–आप के स्टार प्रचार बतौर आपका आना क्या भविष्य में आपके भी चुनाव लड़ने के संकेत तो नहीं ?

–(हंसते हुए) मैं पॉल्टिकल-बंदा तो नहीं था, इत्तेफाक से सियासत में आ गया। हालांकि अभी तक यही मानता हूं कि मैं एक स्पोर्ट्स-पर्सन हूं और हमेशा रहूंगा। राजनेता कहें या खिलाड़ी, दोनों सूरत में पंजाब के भले वाली सोच हैं। दरअसल हम जो कुछ है, पंजाब की वजह से ही हैं।

-स्पोर्ट्स और पॉलिटिक्स में बहुत कुछ ‘अनसर्टेन’ होता है, दोनों में से आपको किसमें ज्यादा रिस्क नजर आता है ?   

–देखिए, स्पोर्ट्स (क्रिकेट) में हर गेंद पर तो सियासत में भी हर मूवमेंट में एक्शन होता है, दोनों काफी हद तक एक जैसे हैं। सिंगल-मैन स्पोर्ट्स की बात करें तो आप खुद तगड़े होने चाहिएं। जबकि क्रिकेट जैसे खेल और राजनीति में जरुरी है कि आपकी टीम भी तगड़ी होनी चाहिए। सियासत में टीम (लोगों) के बीच जाना जरुरी है। उनकी समस्याएं सुनना, गहराई तक जाकर समझना होता है। जनता के विश्वास पर ही खरे उतरना सबसे बड़ा काम है, जीत मुमकिन है, लेकिन इसमें मेहनत लगती है।

–क्रिकेट में तो आपने स्पिनर बतौर अपनी गुगली से खिलाड़ी खूब परेशान किए, लेकिन सियासत में तो सीधे ‘बाउंसर’ पड़ते हैं, कैसे निपटेंगे ?

–(हंसते हुए) देखो, सियासत में सब तरह के लोग हैं, कुछ सीधी तो कई उल्टी बात करते हैं। अगर आप सही-सकारात्मक दिशा में जनहित के काम करते हैं तो डरने की कोई जरुरत नहीं।

— चुनाव प्रचार में राजनेता तो तनाव में रहते हैं,आप खिलाड़ी वाले अंदाज में ही मस्त दिखे ?

–ऐसा नहीं, खेल के मैदान में भी तनाव होता है, लेकिन खुद को मजबूत रखना होता है। लिहाजा खेल-प्रेमियों या जनता के बीच जाने पर उनसे मिलना जरुरी है। ताकि लोग कहें कि बंदा बड़ा बढ़िया है, दरअसल उनसे ही हमारी पहचान बनती है।

–राजनीति का स्तर गिरने पर, खासकर इस चुनाव में भी लग रहे निचले स्तर के आरोपों पर आप क्या कहेंगे ?

–खेलों में भी ऐसा होता है कि अपनी टीम के लिए माहौल बनाया जाता है, लेकिन राजनीति में मर्यादा का ख्याल रखना जरुरी है। आप बेशक अपनी पार्टी के हक में माहौल बनाएं, लेकिन व्यक्तिगत हमले नहीं होने चाहिए। मसलन, इस चुनाव में पार्टियां-उनके उम्मीदवार पंजाब के हित वाले मुद्दों पर चर्चा करें। दूसरों को कोसने की बजाए, यह बताएं कि हम सत्ता में आएंगे तो इससे बेहतर करेंगे।

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