याचिका लगाने वाले कारोबारी की शिकायत पर पहले दोनों के यहां आईटी की रेड होने से रही थी हलचल
लुधियाना 28 जुलाई। महानगर में फाइनेंस कंपनी मालिक और प्रोपर्टी कारोबारी के खिलाफ हाईकोर्ट में लगी याचिका मंजूर हो गई है। बेनामी संपत्ति के मामले में यह याचिका महानगर के ही एक कारोबारी ने लगाई थी। उसी कारोबारी की शिकायत पर पहले भी इनकम टैक्स विभाग ने दोनों के यहां रेड की थी।
जानकारी के मुताबिक अपमनी फाइनेंस कंपनी के मालिक अजीत सिंह चावला और प्रोपर्टी कारोबारी जसबीर सिंह लोहारा के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका लगी थी। महानगर के ही कारोबारी नवीन अग्रवाल ने दोनों को आरोपी बताते हुए उनकी कई जगह बेनामी संपत्ति होने के इलजाम लगाए थे। साथ ही आरोपियों के खिलाफ कई जगह शिकायत किए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई ना होने का इलजाम भी लगाया था। बताते हैं कि हाईकोर्ट ने गत दिनों सुनवाई करने के दौरान शिकायतकर्ता की याचिका को मंजूर कर लिया।
कारोबारी ने की थी ईडी, आईटी से शिकायत : जानकार बताते हैं कि कारोबारी नवीन अग्रवाल इसके पहले दोनों आरोपियों के खिलाफ ईडी और इनकम टैक्स विभाग में लिखित शिकायत की थी। जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान इलैक्शन कमीशन में भी शिकायत की थी। जिसमें शिकायतकर्ता ने आशंका जताई थी कि फाइनेंस कंपनी के जरिए मनी लांड्रिंग की गई। जबकि आरोपी की देश-विदेश में कई बेनामी संपत्ति होने की आशंका भी है।
अब महानगर में फिर से चर्चाएं : कारोबारी नवीन अग्रवाल की याचिका हाईकोर्ट में मंजूर होने से यह मामला फिर गर्मा गया है। शहर के कारोबारियों के बीच इस मामले को लेकर चर्चाएं फिर से शुरु हो गई हैं। कुछ लोग आशंका जता रहे हैं कि अब मामला हाईकोर्ट तक पहुंच जाने की वजह से इस मामले में ईडी की भी एंट्री हो सकती है। हालांकि कारोबारियों का एक वर्ग आरोपी बनाए कारोबारियों के हक में नजर आता है। उनका कहना है कि शिकायतकर्ता कारोबारी ने किसी निजी रंजिश में उनके खिलाफ बेवजह झूठी शिकायतें कीं।
ऐसी याचिका मंजूर होना बड़ी बात : कानूनी-जानकार और महानगर के कारोबारी यह भी मानते हैं कि आमतौर पर हाईकोर्ट में ऐसी सैकड़ों निजी मामलों वाली याचिका लगाई जाती हैं। अमूमन हाईकोर्ट उनको खारिज कर देता है। इस मामले में याचिका मंजूर होना बड़ी और हैरानी वाली बात है। खैर, यह तो अदालत पर निर्भर होता है कि वह शिकायत के तथ्यों को किस कानूनी नजरिए से देखता है। कुल मिलाकर इस मामले में याचिका का मंजूर होना आरोपियों की कानूनी मुसीबत बढ़ाने का कारण बन सकता है।
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