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एकदम सही पकड़े हैं जी
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चाहे उप चुनाव ही हो, हर बार वोटर ही चढ़ता है नेता के दांव
जैसे कसाई बकरे को पुचका बांधकर दिखाता है असली ताव
चुनाव में तो सारे नेता लगा देते हैं जनहित के वादों की झड़ी
फिर जीतकर हो जाते हैं गायब, जनता देखती है खड़ी-खड़ी
—–बड़का वाले कविराय